कोन हैं Elon Musk?
इनका जन्म 18 जून, 1971 में साउथ अफ्रीका के Pretoria शहर में हुआ. पिता का नाम Errol Musk था और वो एक इंजिनियर होने के साथ-साथ एक पायलट भी थे. इनकी माँ का नाम Maye Musk था जो की एक मॉडल और dietitian थी.
Elon Musk बचपन में ही पढ़ने में बहुत रुचि रखते थे और 10 साल की उम्र में उनको कंप्यूटर में भी बहुत interest आ गया था और सिर्फ 12 साल की उम्र में ही कंप्यूटर programming सीख कर एक Blaster नाम का गेम बना डाला जिससे उन्होंने $500 में PC & Office Technology नाम की एक कंपनी को बेच दिया और यहीं से उन की प्रतिभा झलकने लगी थी.
बचपन में वो Isaac Asimov की किताबें पढ़ा करते थे और शायद यहीं से उनको technology के प्रति इतना लगाव हो गया था. बचपन में इनको स्कूल के दिनों में बहुत परेशान किया जाता था लेकिन भले ही उनको बचपन में परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन आगे चल कर उन्होंने मानवता के हित में काफी सराहनीय कम किये.
पढ़ाई कहाँ की?
17 साल की उम्र में इन्होने Queen University से अपनी graduation की पढ़ाई शुरू की और वहां पर दो साल पढ़ने के बाद वे University of Pennsylvania में transfer हो गये. जहाँ पर उन्होंने 1992 में Physics में Bachelor of Science की डिग्री ली. 1995 में Elon Musk PhD करने के लिए California शिफ्ट हो गये. लेकिन वहाँ पर रिसर्च शुरू करने के दो दिन के अंदर ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और एक सफल व्यवसायी बनने के लिए अपने कदम बढ़ा लिए.
कैसे करी शुरुआत?
1995 में इन्होने अपने भाई के साथ ZIP2 नाम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू की जिससे आगे चल कर COMPAQ कंपनी ने 307 मिलियन डॉलर देकर खरीद ली.
इसके बिकने के बाद ZIP2 में अपने 7% के शेयर से Elon Musk को कुल 22 मिलियन डॉलर मिले. फिर 1999 में इन पैसों में से 10 मिलियन डॉलर का निवेश करते हुए इन्होनें x.com की स्थापना की, जो की एक financial सर्विस देने वाली कंपनी थी और एक साल बाद यह कंपनी Confinity नाम की एक कंपनी की साथ जुड़ गयी. इस Confinity कंपनी की एक money transfer सर्विस हुआ करती थी जिससे आज हम PayPal के नाम से जानते हैं.
2002 में eBay ने PayPal को 1.5 बिलियन डॉलर में खरीद लिया और इस डील के बाद एलन मस्क को 165 मिलियन डॉलर का फायदा गुआ. फिर 2002 में ही जमा किये हुए पैसों में से 100 मिलियन डॉलर की रकम के साथ एलन मस्क नें SpaceX नाम की कंपनी की स्थापना की. 2003 में इन्होनें दो लोगों के साथ मिल कर TESLA नाम की एक और कंपनी की शुरुआत की और 2008 के बाद वो TESLA के CEO के तौर पर कम करने लगे.
फिर 2006 ने एलन ने अपने cousin की कंपनी SolarCity को financial capital मुहयिया करवा कर इसे शुरू करने में अहम भूमिका निभाई और फिर 2013 में SolarCity अमेरिका में सोलर पॉवर सिस्टम मुहयिया करवाने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गयी. फिर आगे चल कर 2016 में TESLA ने SolarCity को अपने अंतर्गत ले लिया.
दिसंबर 2015 में एलन मस्क ने एक artificial intelligence रिसर्च कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम OpenAI रखा गया. 2016 में एलन मस्क Neuralink नाम की एक कंपनी के को-फाउंडर बने और ये कंपनी artificial intelligence और इंसानी दिमाग को जोड़ने के काम में लगी हुई है.
तो कैसे इन्होनें अपने जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की एक ऐसा राकेट बना कर जो लांच के साथ-साथ वापिस धरती पे लैंड भी हो सके और उसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सके, जो की उस समय एक ना-मुमकिन जैसा काम था. तो आईये जानते हैं उनकी इस अद्भुत कहानी को जिससे हमें भी जीवन में कुछ बड़ा करने और सफल होने की एक प्रेरणा मिलती है.
कहानी Elon Musk की सफलता की
“अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता पर अकेला बंदा पहाड़ तोड़ सकता है.” Elon Musk अमेरिका से रूस गये, पुरानी मिसाइल के खोके खरीदने ताकि उन से कुछ ऐसा बना सके जो आज तक कोई नहीं बना पाया था “राकेट”, ज़मीन से उड़ने वाला नहीं, उड़ के ज़मीन पे वापिस आने वाला राकेट. ऐसा राकेट जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि मुमकिन होगा.
अगर किसी ने सोचा भी होगा तो उस के पास कोई idea नहीं होगा कोई तरीका नहीं होगा कि कैसे राकेट को वापिस ज़मीन पर उतारना है और अगर किसी के पास कोई idea भी होगा तो उस ने किया नहीं होगा.
लेकिन यह बंदा जो राकेट के बारे में कुछ भी नहीं जानता था और ना ही कोई ऐसी पढाई करी थी जिस में राकेट के बारे में पढ़ाया गया हो. वो बंदा ऐसा राकेट बनाने चला था जो उस समय की राकेट बनाने वाली कंपनियों को भी नहीं पता होगा. ज़मीन पे वापिस उतरने वाला राकेट, राकेट लांच को कई सालों से होते आये थे. इस बंदे से रूस वालों ने ज़रूरत से ज़्यादा पैसे मांगे.
कहा जाता है कि रूस में जो मीटिंग हुई थी उस मीटिंग में इस बंदे का मज़ाक भी उड़ाया गया था. ये बंदा बिना डील पूरी किए वापिस अपने देश अमेरिका आ गया और उसी दिन से किताब उठा ली, इसी सवाल के जवाब में कि मैं क्यों नहीं बना सकता राकेट.
मैं ऐसा राकेट बनाऊंगा जो बहुत कम खर्चे पे अंतरिक्ष में जा सके और ऐसा बनाऊंगा जो लांच के साथ-साथ ज़मीन पर वापिस लैंड भी कर सके. बंदे ने एक के बाद के किताबें पढ़ डाली और शुरू कर दिया अपना पहला प्रोजेक्ट.
सन 2006, पहले लांच के 37 सेकेंड के अंदर ही सीधा ज़मीन पे आ के गिर गया और उस के टुकड़े-टुकड़े हो गये, प्रोजेक्ट फेल हो गया. वो बंदा पिछले 4 सालों से इस पर काम कर रहा था लेकिन यह फेल हो गया और पैसों का बहुत नुकसान हो गया. बंदे ने फिर सवाल ढूँढने की कोशिश करी कि कमी कहाँ रह गयी, राकेट लांच क्यों नहीं हो पाया. एक साल बाद फिरसे राकेट लांच किया, फिर से वही हुआ मिशन फेल्ड राकेट क्रेश, पैसों का भारी नुकसान.
फिर एक साल बाद तीसरी कोशिश करी और फिर वही हुआ, मिशन फिर से फेल्ड. एक के बाद एक, तीन बार Elon Musk फेल हो गये. अब इस बंदे के पास केवल एक राकेट बनाने जितने पैसे बचे थे, जितना अच्छे-अच्छे इंजिनियर थे वो सब छोड़ के चले गये लेकिन इस बंदे में इतना जुनून था कि इस ने सोचा एक बार और कोशिश करते हैं.
लेकिन इस के पास इतने पैसे नहीं थे कि यह अच्छे इंजिनियरों को रख सके और घटिया इंजिनियरों को यह रखना नहीं चाहता था तो इस ने सोचा क्यों ना इस बार प्रोजेक्ट का चीफ इंजिनियर मैं ही बन जाऊं. वो बंदा खुद चीफ इंजिनियर बन गया जिस ने राकेट साइंस की कोई डिग्री भी नहीं ले रखी थी.
बहुत जोखिम भरा काम था यह, पैसों का पहले ही भरी नुकसान हो रखा था लेकिन इस बंदे की हिम्मत का नुकसान कोई नहीं कर पाया. पूरी जान चौथी कोशिश में लगा दी और उस के बाद कुछ ऐसा हुआ ना जो आज तक कोई नहीं कर पाया, पूरी दुनिया ने एक नज़ारा देखा. दुनिया का सबसे कम बजट पर उड़ने वाला राकेट सफलता पूर्वक लांच हो चुका था, साइंस के अंदर ऐसी ऐसा पहली बार नहीं हुआ था लेकिन इतने कम बजट के अंदर किसी राकेट को लांच करना पहली बार हुआ था.
ऐसा करके दिखाया उस बंदे ने जिस को किसी ने राकेट बनाना नहीं सिखाया. इस बंदे की कंपनी को आज दुनिया SpaceX के नाम से जानती है और इस के राकेट में इतनी जान है कि NASA भी अपने कई satellite SpaceX के जरिये अंतरिक्ष में भेजती है.
जब इस बंदे के तीन फेल्ड लांच के बाद में चौथा लांच सफल हुआ तो सफल होते ही NASA ने कहा कि यह राकेट हमें चाहिए और सफल लांच के 2-4 महीनों के अंदर ही डील पक्की भी हो गयी. लेकिन यह बंदा यहीं पे ही नहीं रुका, बोला कि ऐसा राकेट बनाऊंगा अब जिस को बार-बार इस्तेमाल किया जा सके.
आम तौर पे क्या होता है कि जब किसी satellite को अंतरिक्ष में लांच करना होता है तो वो satellite को अंतरिक्ष में लेकर जाता है साथ-साथ में उस को carry करने वाला राकेट भी उस के साथ ही चला जाता है और उस के बाद वो इस्तेमाल करने लायक बचता ही नहीं है.
यानि कि ये बंदा ऐसा राकेट बनाना चाहता था जो अंतरिक्ष में जा के अपना काम करके सुरक्षित वापिस ज़मीन पर आ कर के लैंड हो जाये ताकि उस राकेट में सिर्फ ईंधन भरना पड़े और वो फिर से अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार हो जाये.
सन 2011 में जब Elon Musk ने घोषणा की कि मै लैंड करने वाला राकेट बनाना चाहता हूँ तो बहुत लोगों ने इन का मज़ाक बनाया. लेकिन इस बंदे के दिमाग में ना-मुमकिन नाम की कोई चीज़ नहीं थी, इस के दिमाग में केवल जिद्द थी अपने सपने को पूरा करने की. बंदे ने अगले 4 साल तक दिन-रात एक कर दी, बहुत सरे फेल्ड राकेट टेस्ट किए.
आख़िरकार 2015 में पूरी दुनिया ने एक बार फिर से ऐसा नज़ारा देखा, जो लोग बस फिल्मों में ही देखते आये थे. इस बंदे ने लैंड करने वाला राकेट बना दिया, असंभव को संभव कर दिया.
आज इस बंदे को असली दुनिया का Iron Man बोला जाता है. यह वही बंदा था जिस ने बचपन में इतनी किताबें पढ़ डाली थी कि एक समय ऐसा आया कि इस के आस-पास किताबें कम पड़ने लग गयी, लेकिन बंदे को पड़ना था इस लिए पूरा encyclopedia पढ़ डाला. यह बंदा आज दुनिया का सबसे अमीर आदमी बन चुका है.
वो बंदा जिस का यह कह कर मज़ाक उड़ाया जाता था कि तुम्हारे पास पैसे तो है नहीं और आ गये मिसाइल खरीदने. लेकिन आज इस बंदे की औकात इतनी बढ़ चुकी है ना वो ऐसा बोलने वाले लाखों बंदों को खरीद सकता है.
Elon Musk ऐसे बहुत सारे काम करना चाहते हैं जो आज शायद ना-मुमकिन लगते हैं लेकिन यह नही भूलना चाहिए कि वो लैंडिंग वाला राकेट भी किसी समय ना-मुमकिन लगता था. इन के बहुत सरे ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिन के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता.
जो इन्होंने किया वो कोई और भी कर सकता है बस ज़रूरत है तो सोच को vision देने की, vision के लिए idea generate करने की और ideas को एक्शन में बदलने की. Elon Musk का मानना है कि फेल होने से नहीं डरना चाहिए क्योंकि फेल होना भी एक ऑप्शन होता है लेकिन काम ना करना कोई ऑप्शन नहीं होता. यह खुद मानते हैं कि ये एक हफ्ते में लगभग 120 घंटे काम करते हैं.
इनका कहना है कि मैं वो काम नहीं करता जो ज़रुरी है, अमिन वो काम करता हूँ जो मुझे लगता है करना चाहिए. ये कहते हैं कि अच्छे स्कूल या अच्छे कॉलेज में जाने से बंदा शिक्षित नहीं हो जाता, क्योंकि मैं Harvard university में नहीं पढ़ा लेकिन वहां पढ़ चुके कई प्रतिभावान बंदे मेरे अंतर्गत काम करते हैं.
ये कहते हैं कि अतिसाधारण बनने का साधारण इन्सान के पास अवसर होता है, इनका यह भी कहना है कि अगर आप फेल नहीं हो रहे हो तो इसका मतलब आप ज़िन्दगी में कुछ कर ही नहीं रहे.
हर इन्सान को आज यह बात समझनी पड़ेगी कि उन को आज के समय में क्या करना चाहिए. क्या उनको वो करना चाहिए जो उनको लगता है कि यह ज़रुरी है या उनको वो करना चाहिए जो उनको लगता है कि करना चाहिए. इन्सान तब ज़्यादा बेहतर कर पाता है जब उस को पता है कि उसे क्या करना चाहिए.
Elon Musk को किसी ने राकेट साइंस नहीं पढाई लेकिन उन को लगा कि उनको राकेट साइंस पढ़नी चाहिए, तो इन्होंने खुद पढ़ी क्योंकि इनको पता था कि इनको क्या करना चाहिए.
आज की तारीख में किसी बंदे के लिए कुछ करना मुश्किल नहीं है अगर मुश्किल है तो वो ये है कि उस के पास कोई लक्ष्य ही नहीं है, उसको पता ही नहीं है कि उसको करना क्या है. लक्ष्य निर्धारित नहीं करना सबसे बड़ी समस्या है, फेल होना कोई समस्या नहीं है. समस्या कोई समस्या नहीं है, समस्या का हल ढूँढना एक समस्या है.
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nice jankari