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हाथी और शेर की कहानी

 एक जंगल में एक बहुत ही बलशाली हाथी रहता था. उस जंगल में अन्य जो भी जानवर रहते थे वह सब उसकी तारीफ किया करते थे क्योंकि वह सब की मुसीबत में मदद किया करता था और अगर उनके बीच कोई मतभेद हो जाता तो उसका हल भी करता था.

सब कुछ अच्छा चल रहा था, धीरे-धीरे सूखा पड़ने लगा. उस जंगल में चारों तरफ सूखा ही सूखा फैल गया जिसकी वजह से नदी, तालाब सूखे रहने लगे और उस जंगल में पानी की बहुत समस्या हो गई.

जानवर अब भूख प्यास से तड़प रहे थे. बहुत से जानवर जंगल छोड़कर दूसरी तरफ जाने लगे. हाथी को अपने जंगल बहुत प्यारा था, वो उसे छोड़ना नहीं चाहता था.

क्योंकि उसका बचपन और उसके माता-पिता की यादें जंगल से जुड़ी हुई थी. लेकिन आखिरकार जब जंगल में कुछ नहीं बचा तो उसे यह तय किया कि उसे भी दूसरे जंगल की तरफ रुख करना चाहिए, जहां पर पानी और खाना भरपूर हो.

यह सोचकर वह धीरे धीरे चलते हुए कई दिनों तक चलता ही रहा. लेकिन उसे ना तो कहीं खाना मिला और ना ही पानी जिसकी वजह से वह दिन प्रतिदिन और कमजोर होता गया.

काफी दूर जंगल में जाने के बाद उसे एक छोटा सा तालाब दिखा जिसमें थोड़ा सा ही पानी था. जैसे ही हाथी उस तालाब से पानी पीने जा रहा था तभी अचानक इस शेर भी वहां टपक गया. 

हाथी ने जैसे ही पानी पीने के लिए अपना सूंढ़ तालाब की तरफ आगे बढ़ाया तो शेर ने उसको रोक दिया और बोला, “पहले पानी पीयूंगा उसके बाद तुम पीना।।समझे!”

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 हाथी बहुत ही प्यासा था उसने शेर से विनती की, “मैं बहुत दूर से चलकर आ रहा हूं, कई दिनों से मैंने कुछ खाया नहीं है, प्यास के मारे मेरा बुरा हाल है, मैं आपसे विनती करता हूं कृपया पानी मुझे पीने दीजिए।

इस पर शेर को गुस्सा आ गया और उसने हाथी पर हमला करने का सोचा। दोनों लड़ने लगे, दोनों की लड़ाई काफी देर तक चले. हालांकि सूखा पड़ने की वजह से शेर भी बहुत कमजोर हो गया था और हाथी भी, जिसकी वजह से जल्दी ही वह दोनों थक गए और वहीं पर गिर पड़े.

पास में ही एक बड़े गीदड़ो का झुंड यह सब चीजें देख रहा था. हाथी और शेर की लड़ाई को देखकर गीदड़ों ने आपस में सोचा…”यह तो बहुत अच्छा हो रहा है, यह दोनों मोटे ताजे लड़-लड़ के मर जाएंगे और हमारे आज के भोजन का इंतजाम हो जाएगा।”

जब हाथी और शेर ने उनकी दोनों की तरफ देखा तो वह उनकी चाल को समझ गए.

वह जान गए कि वह लोग फिराक में है कि जैसे ही दोनों लोग मर जाए तो बो सब मिलकर उन दोनों को खा जाए. तभी हाथी को एक तरकीब सूझी, उसने शेर से बोला क्यों ना हम  दोनों साथ में थोड़ा थोड़ा पानी पी ले और यहां से चलते बने, पास में ही गीतों का झुंड हमारी मौत का इंतजार कर रहा है.

अगर हमने यहां पर लड़ाई झगड़ा किया और एक साथ ना हुए तो हम दोनों का ही इसमें भारी नुकसान होगा। 

शेर को हाथी की यह बात सुनकर अपनी गलती का एहसास हुआ और वह उसकी बात मान गया और बोला..”तुम सही कह रहे हो भाई, हम दोनों ही इस समय बहुत कमजोर है, अकेले हम इनका सामना नहीं कर पाएंगे बेहतर यही है कि हम साथ मिलकर पानी पीएं और यहां से निकल जाए. 

शेर ने और हाथी ने यही किया। दोनों ने थोड़ा-थोड़ा पानी पिया और चुप चाप वहां से निकल गए। बेचारे गीदड़ों का इंतजार इंतजार ही रह गया.

हमें आपस में बैर नहीं करना चाहिए। क्योंकि बहुत सारे बड़े-बड़े झगड़े कई बार छोटी-छोटी बातों पर होते हैं इसलिए हमें किसी भी झगड़े को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। 

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हाथी और शेर की कहानी – कहानी 2

एक जंगल में एक शेर था. शेर को बहुत भूख लग रही थ, शेर ने हिरण को देखा और उसे मारकर खा लिया। लेकिन उस समय शेर के गले में हिरण की हड्डी फंस गई.

शेर उसे निकाल नहीं पा रहा था उसे बहुत दर्द होने लगी. शेर मदद के लिए जंगल में इधर-उधर घूम रहा था. शेर को मोरनी नजर आई, उसने मोरनी से कहा कि मेरे गले में हड्डी फंस गई तुम उसे निकाल दो.

मोरनी ने कहा ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता, इस बहाने से तुम मुझे खाना चाहते हो ना..  तुम यहां से चले जाओ. शेर मायूस होकर वहां से चला गया. 

इतने में उसे एक भालू नजर आया. शेर भालू के पास गया और कहने लगा मेरे गले में हड्डी फंस गई..  मेहरबानी करके उसे बाहर निकाल दो.

भालू कहने लगा कि मैं बहुत थक गया हूं मुझे बहुत नींद आ रही है.. तुम यहां से जाओ मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।

अपना मुंह लटकाते हुए शेर वहां से आगे बढ़ा। इतने में उसे एक हाथी नजर आया. हाथी एक आम के पेड़ के नीचे था उसे बहुत भूख लगी थी वह आम खाना चाहता था.

लेकिन आम बहुत ऊंचे थे उसका सूंढ़ वहां तक नहीं जा रहा था और हाथी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था इसलिए हाथी बहुत मायूस हुआ.

इतने में शेर ने हाथी को देखा और कहने लगा मैं तुम्हारी मदद करूंगा उससे पहले तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। हाथी यह सुनकर कहने लगा मैं तुम्हारा क्या मदद कर सकता हूं?

शेर ने कहा मेरे गले में हड्डी फंस गई है मेहरबानी करके तुम उसे निकाल दो फिर मैं तुम्हारी जरुर मदद करूंगा। हाथी इसके लिए राजी हो गया और अपने सूंढ़ से शेर के गले में से हड्डी को बाहर निकाल दिया।

शेर का दर्द कम हो गया वह बहुत खुश हुआ और वह आम के पेड़ पर चढ़ गया वहां से फल तोड़कर हाथी को देने लगा. हाथी आम के फल खाए जिससे उसका भूख मिट गया और वह भी बहुत खुश हुआ.

उस दिन से हाथी और शेर अच्छे दोस्त बन गए. तो इस कहानी से हमें यह पता चलता है कि कोई भी मुसीबत हमें बोलकर नहीं आती इसलिए हमें सबसे मिल जुल कर रहना चाहिए।

हमें भी चाहिए कि मुसीबत में कब कौन काम आ जाए नहीं मालूम इसीलिए दुश्मन को भी दोस्त बना कर रखना चाहिए। 

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