कर्मों का फल कहानी
यह बात सत्य है कि कर्म फल से कोई नही बच पाया है। कर्म आपका दिखने में तो बुरा हो सकता है, परंतु अगर आपका उद्देश्य और आपकी नियत सच्ची है तो फल भी आपको सच्चा और अच्छा ही मिलेगा। जिन कर्मो का फल वर्तमान में नही मिलता, उसे भोगने के लिए वह आत्मा नया शरीर धारण करती है और अपने नए जन्म में अपना फल भोगती है। इसे ही कहते हुई कर्म का सिद्धांत।
तो आइए पढ़ते है एक राजा की कहानी, इसी कर्म सिद्धांत को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं.
Karmo Ka Fal Bhogna Padta Hai
बहुत समय पहले की बात हैं एक राजा, राज्य करता था। वह राजा एक दिन अपनी जन्मपत्री पढ़ रहा था। पढ़ते-पढ़ते उस राजा को ख्याल आया कि जिस समय मेरा जन्म हुआ होगा, उस समय कितने मनुष्यो का जन्म हुआ होगा। लेकिन वह सभी मेरी तरह राजा क्यों नही बने?
राजा हर दिन, हर समय, इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढने में लगे रहते है लेकिन उन्हें इसका उत्तर नही मिल पाता है।
अपने प्रश्न का उत्तर पाने के लिए राजा अपने राज्य में बड़े-बड़े बुद्धिमान व्यक्तियों को बुलाते है। राज्य में सभी बुद्धिमान व्यक्ति एकत्रित होते है, वह सभी यह सोच में होते है कि राजा ने उन्हें यह क्यों बुलाया है।
राजा सभी का अभिनंदन स्वीकार करते है और उनसे पूछते है कि जिस समय मेरा जन्म हुआ, उसी क्षण में और कितने भी व्यक्तियों का जन्म हुआ होगा, तो उन सब व्यक्तियों में से मैं ही क्यों राजा बना? वह सभी राजा क्यों नही बने?
सभी महान बुद्धिमान इस प्रश्न के लिए गहन सोच विचार करने लगे।
वह सभी गहन सोच विचार करने के बाद वह उनके प्रशन का उत्तर न दे सके। राज्य में एक बुज़ुर्ग बुद्धिमान व्यक्ति भी बैठे हुए थे, वह थोड़ी देर बाद बोले कि इस प्रश्न का उत्तर तुम्हे एक महान साधु देंगे जो कही वर्षो से एक घने वन में तपस्या कर रहे हैं.
यह सुनकर राजा अगले दिन अपने सैनिकों के साथ उस जंगल की ओर निकल पड़ा !!
कुछ दूर पहुंचते ही राजा को वहा एक छोटी सी कुटिया दिखाई दी। जब राजा उस कुटिया के पास पहुंचा तो उसने देखा कि एक साधु वहां बैठा आग के अंगारे खा रहा है।
यह देख कर राजा चकित रह गया। राजा ने हिम्मत करके उनसे कहा कि हे साधु! मैं आपको प्रणाम कार्य हूं!! मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं कि मेरे जन्म वाले दिन कितने मनुष्यो का जन्म हुआ है, उन सभी में से मैं ही क्यों राजा बना?
साधु यह प्रश्न सुनकर बोले कि, हे राजन! मैं तुम्हारे इस प्रशन का उत्तर नहीं दे सकता। थोड़ा आगे चलकर तुम्हे एक और साधु मिलेंगे, वही तुम्हे इसका उत्तर दे सकते हैं. यह सुन कर राजा दूसरे साधु की तलाश में आगे निकल पड़ा.
थोड़ा आगे चलते ही राजा को साधु दिखाई देता है और वह साधु मिट्टी खा रहा होता है। यह देखकर राजा हैरान रह जाता है, फिर उस वक्त राजा हिम्मत करके अपना प्रश्न साधु से पूछता है फिर साधु क्रोधित होकर बोलता है कि तुम जल्दी यहां से चले जाओ , मेरे पास तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर नही है।
परंतु वह साधु उसे एक लड़के के बारे में बताता है और कहता है कि तुम उसके पास जाओ, तुम्हे अपने प्रश्न का उत्तर जरूर मिलेगा। तो राजा उस लड़के की तलाश में आगे बढ़ने लगता है।
ढूंढते-ढूंढते वह राजा एक गांव में जा पहुंचा। राजा को थोड़े समय बाद वह लड़का मिल गया, वह बहुत ही बीमार था। राजा ने उस लड़के से अपना प्रश्न पूछा और लड़का बोला कि राजन हम पिछले जन्म में चार भाई थे।
एक बार हम चारो भाई किसी जंगल में भटक गए थे और हमें वहां कई दिन हो गए थे। हमारे पास केवल ज़रा सा आटा पड़ा था और उसकी हमनें रोटियां बना ली थी।
जैसे ही हम वह खाने लगते है, हमारे पास एक बाबा आते है। वह बाबा बहुत भूखे थे, वह हमसे भोजन मांगते है। ऐसे में बड़ा भाई बोला कि यदि हमने आपको यह भोजन दे दिया तो हम क्या अंगारे खायेंगे।
दूसरा भाई बोला की अगर हमने भोजन दे दिया तो क्या हम मिट्टी खायेंगे। अब जब मेरी बारी आई तो मैंने भी रोटियां देने से मना कर दिया।
परंतु राजन तुम बहुत दयालु थे, तुमने अपने हिस्से का भोजन उस बाबा को देकर उसका पेट भरा और तुम्हारे इस पुण्य के कारण तुम इस जन्म में राजा बने। रास्ते में जो तुम्हे अंगारे खाते हुए और मिट्टी खाते हुए साधु मिले थे, वह दोनो तुम्हारे भाई थे।
तुम्हारा तीसरा भाई मैं हूँ जो इस समय मौत के मुंह में हूँ। हे राजन! इसी प्रकार हम सभी भाइयों को अपनी-अपनी करनी का फल मिला है। राजा को यह सुनकर अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाता है।
कहानी 2 – Karmo ka fal kaise milta hai
एक समय की बात है एक प्रतापी राजा था, उसने अपने राजमहल में ब्राह्मणों के भोजन का आयोजन किया और यह आयोजन उसने अपने बाग़ बगीचे वाले स्थान पर रखा था, इसलिए रसोइया भी उसी स्थान पर जाकर भोजन पका रहा था.
उसी समय आकाश से एक चील आया, उस चील ने अपने मुंह में एक सर्प को दबाया हुआ था और जब वो चील उस बगीचे के उपर से जा रहा था उस समय उस सांप ने उस चील को डसने की कोशिश करी, जिसके कारन ज़हर की कुछ बूदें उस बर्तन में गिर गई जिस में ब्राह्मणों के लिए भोजन पकाया जा रहा था.
लेकिन वो उस रसोईये को इस बात का पता नहीं चला, उसे ज़रा भी आभास नहीं हुआ कि ज़हर की बूदें इस बर्तन में गिर गई हैं. फलस्वरूप वो सारा भोजन ज़हरीला हो गया और यह भोजन ब्राह्मणों ने खा लिया.
तो ज़हरीला भोजन करने के कारन सभी ब्राह्मणों की मृत्यु हो गई और एक साथ इतने ब्राह्मणों की मृत्यु हो जाना कोई अच्छी बात नहीं थी और यह तो घोर पाप हुआ.
अब भगवान के सामने यह प्रशन उठा कि इस पाप की सजा किसको दी जाए? उस राजा को, जिस ने इस भोजन का आयोजन किया था, लेकिन उसे तो पता भी नहीं था कि भोजन में ज़हर है.
या उस रसोईये को जिस ने वो भोजन बनाया था, परन्तु वो भी इस बात से अनभिज्ञ था कि यह भोजन ज़हरीला हो चुका है. तो क्या सज़ा उस चील को दी जाए जो उस सर्प को लेकर वहां से निकला और या फिर सज़ा उस सांप को दी जाए जिसने आत्मरक्षा के लिए उस ज़हर को उगला !!
तो यह बड़े असमंजस की स्थिति बन गई कि आखिर इतने बड़े घोर पाप की सज़ा किसको दी जाए, तो इस कर्म की सज़ा के लिए काफी दिन बीत गये.
फिर एक दिन कुछ ब्राह्मण उस नगर में आए और उन्होंने एक महिला से राजमहल का पता पूछा. उस महिला ने राजमहल का पता बता दिया लेकिन पता बताने के बाद उस महिला ने उन ब्राह्मणों से कहा कि आप जा तो रहे हैं राजमहल लेकिन थोडा संभल कर जाना, क्योंकि ये जो राजा है ये ब्राह्मणों को भोजन में ज़हर मिला कर दे देता है.
उस महिला के इतना कहते ही भगवान ने कहा कि इस कर्म के फल का अधिकारी मुझे मिल गया है, तो सभी ने भगवान से पूछा कि वो कोन है?
तो भगवान ने कहा कि इस महिला को इस कर्म की सज़ा दे दी जाए, तब सभी अस्चार्यचकित हो गए और वो बोले कि वो महिला तो उस समय वहां मौजूद भी नहीं थी, ना उसने ज़हर मिलाया, ना उसने भोजन पकाया और ना ही उस ने उन ब्राह्मणों को भोजन कराया, फिर इसकी सज़ा उसे क्यों दे रहे हैं?
तब भगवान ने कहा कि किसी भी कर्म का आनंद जो सबसे ज्यादा लेता है उसी को उसका फल भुगतना पड़ता है. इस पुरे कर्म में ना रसोईये को आनंद की अनुभूति हुई, ना राजा को आनंद की अनुभूति हुई, ना सर्प को हुई और उस चील को हुई !!
लेकिन इस घटना से सबसे ज्यादा आनंद और सबसे ज्यादा आनंद और सबसे ज्यादा रस इस महिला को ही मिला है, इसलिए इस कर्म की सज़ा इसे भी भुगतनी पड़ेगी !!
इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है
तो दोस्तो, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कर्म के फल की वियाख्या इतनी आसान नहीं है. शब्द ही हमारे कर्म हैं, हम जो काम करते हैं वो तो हमारे कर्म होते ही हैं लेकिन जो हमारी किसी के प्रति भावनाएं है, वही हमारे कर्म हैं, हमारे विचार ही हमारे कर्म हैं. अगर आपने अपने विचारों पर नियंत्रण करना सीख लिया तब आप एक महान इंसान बन जाते हैं.
जब आप अच्छा सोचते हैं तो आपके साथ अच्छा होता ही है और वो होता ही रहेगा. इसलिए दोस्तो, किसी के भी बुरे कर्मों की आलोचना नहीं करनी चाहिए.
गरुड़ पुराण के अनुसार कर्मों का फल
गरुड़ पुराण के वियक्ति अपने कर्मों के अनुसार या तो स्वर्ग में जाता है और या नरक में. नरक के बारे में गरुड़ पुराण में लिखा है कि नरक 36 प्रकार के होते हैं जिनके अंदर पापी वियक्ति की आत्मा को तरह तरह की यातनाएं मिलती हैं. इन 36 प्रकार के नरकों में से 10 मुख्य नरकों के बारे में गरुड़ पुराण में लिखा है.
किताबें:
निष्कर्ष:
तो दोस्तो, इन कहानियों “karmo ka fal bhogna padta hai“ से हमें यही पता चलता है कि हम जो भी कर्म करते है चाहे वो सही हो या गलत, हमे एक दिन भोगना ही पड़ता है। जिंदगी अगर हसाए तो समझ लीजिए कि अच्छे कर्मों का फल मिल रहा है और जिंदगी अगर रुलाए तो समझ लीजिए यह भी आपके कोई बुरे कर्मों का फल मिल रहा है.
कर्म तो हम सभी करते हैं, अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा और अगर अच्छे कर्म नहीं करेंगे तो बुरा फल ही मिलेगा. यह जो कर्म हम करते हैं अच्छे या बुरे ये हमें कभी छोड़ते नहीं हैं, हमें इनका फल आज नहीं तो कल ज़रूर मिलना होता है. लेकिन कई बार जब हमें बहुत दुख मिल रहे होते हैं तब हम बोलते हैं कि हमने तो कोई बुरा कर्म नहीं किया, हमने तो किसी का कभी बुरा किया ही नहीं, फिर हमें क्यों इतने दुख मिल रहे हैं !!
लेकिन दोस्तो, हमने कर्म किए जरुर होते हैं, अगर इस जन्म में नहीं किए तो पुराने जन्म में किए होंगे और पुराने जन्म का तो हमें याद नहीं होता ना. क्योंकि हम इंसानों से तो चालाकियां कर सकते हैं लेकिन उस भगवान से नहीं !!
कर्मों का सिद्धांत बड़ा ही सरल है, जैसा आप किसी को दोगे, वैसा ही आपको वापिस मिलेगा, तो अपने मन से फैसला कर लीजिए कि आपको क्या चाहिए, तो अगर आप इस ब्रह्माण्ड को सकारात्मक उर्जा दोगे, तो आपको भी सकारात्मक उर्जा ही मिलेगी.
उम्मीद है आपको हमारा यह आर्टिकल “karmo ka fal bhogna padta hai” अच्छा लगा होगा, आपने कुछ सीखा होगा, हमें कमेंट करके ज़रूर बताईएगा, धन्यवाद !!
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