Lalach Ka Fal Bura Hota hai | लालच का फल हिंदी कहानी » Love Define

Lalach Ka Fal Bura Hota hai | लालच का फल हिंदी कहानी

लालच किसी भी चीज़ का हो, इंसान को अँधा कर देता है. जो चीजें हमारे पास होती हैं, हमें कम ही लगती हैं और जल्दी से जल्दी सब कुछ पा लेने का लालच आ जाता है. लेकिन lalach ka fal बुरा होता है.

आप सभी ने यह तो सुना ही होगा कि लालच बहुत बुरी बला है। तो आइए आज इसका मतलब भी समझ लेते है, इन कहानिओं के माध्यम से.

लालच का फल कहानी 1 – लालच का फल लघु कथा

एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था, उसे साथ उसकी पत्नी भी रहती थी. किसान तो बहुत इमानदार था परन्तु उसकी पत्नी बहुत ही लालची स्वभाव की औरत थी, जिसके कारन वो अपने पीटीआई को हमेशा ताने मारती रहती थी कि जाओ कुछ कमा के लाओ.

वो किसान रोज़ रोज़ अपनी पत्नी के तानों से बहुत ही परेशान हो गया था. वह दिन भर अपने खेतों में मेहनत करता था फिर भी उसकी पत्नी सोचती थी कि हम एक झटके में अमीर हो जाएँ, मुझे सारी दुनिया की ख़ुशी मिल जाए.

लेकिन किसान बार बार अपनी पत्नी को यही समझाता था कि  हमें मेहनत करने के बाद ख़ुशी मिलेगी उससे अच्छी ख़ुशी कुछ भी नहीं होती, लेकिन उसकी पत्नी के लालची स्वभाव के कारन उससे यह बातें समझ में ही नहीं आती थी.

वो किसान अपनी पत्नी के तानों से बड़ा परेशान रहता था.

एक दिन किसान जंगल में लकड़ी काटने गया और उसदिन धूप बहुत तेज़ थी तो किसान धूप और गर्मी से बहुत जल्दी थक गया और वह आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया और अपनी पत्नी के बारे में सोचने लगा.

इतने में एक साधू जंगल से गुजर रहे थे तो उन्होंने उस किसान  को देखा और समझ गये कि किसान जरुर किसी बात से परेशान है. वो उसके पास गये और उन्होंने उस किसान से परेशानी का कारन पूछा.

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किसान ने उस साधू को प्रणाम किया और बोला कि मैं परेशान नहीं हूँ, थोडा थक गया हूँ इसलिए चेहरे पर थोड़ी चिंता जैसी भावना दिख रही होगी.

लेकिन साधू ने कहा, “नहीं, तुम जरुर किसी वजह से परेशान हो, इसलिए हमें बताओ, शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं.”

तो पहले किसान ने मना किया कि ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन साधू के बार बार कहने पर किसान अपने घर और पत्नी की स्थिति के बारे में सब कुछ बताने लगा.

तो साधू ने कहा, “बस इतनी सी बात है, तुम गरीब हो इसलिए यह समस्सया तुम्हारे साथ है. इसलिए मैं तुम्हें एक ऐसी थाली दे रहा हूँ जिसमें अगर रात को थाली से कुछ भी मांग कर थाली को ढक कर सो जाओगे तो सुबह मांगी हुई चीज़ जरुर मिलेगी.

लेकिन तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि एक रात में एक ही चीज़ मांगना है और यदि एक ही रात में एक से ज्यादा चीजें इस थाली से मांगोगे तो अगले दिन इस थाली के द्वारा दी गयी सारी चीजें गायब हो जाएँगी, और यह थाली भी गायब हो जाएगी.”

साधू की बात सुन कर किसान बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगा कि सब चीजें धीरे धीरे बदल जाएँगी, हम गरीब से अमीर हो जाएंगे और हमारी पत्नी भी खुश रहेगी.

ऐसा सोच कर किसान से उस साधू महाराज को धन्यवाद किया और फिर हसी ख़ुशी अपने घर लौट आया और उस थाली के बारे में अपनी पत्नी को बताया. पहले उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ लेकिन किसान के समझाने के वो मान गयी.

वह दोनों रात होने का इंतजार करने लगे. जब रात हुई तो किसान और उसकी पत्नी ने थाली से सोने के सिक्के मांग कर उसे ढक कर सो गये. जब अगले दिन सुबह उठे तो देखा कि उस थाली में सोने के सिक्के भरे हुए थे.

अब किसान और उसकी पत्नी की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि साधू महाराज की बात सच हो गई थी. अब तो किसान की पत्नी को इतने सारे सोने के सिक्के देख कर उसके मन में और ज्यादा लालच उत्पन हो गया.

लालच का फल हिंदी कहानी

फिर एक रात उसने महल, फिर दासी, फिर नौकर-चाकर सब कुछ एक एक करके मांग लिया, तो अगले दिन उसे मन चाही चीज़ मिल जाती थी.

अब तो किसान की पत्नी गरीब से अमीर हो चुकी थी और उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता था. लेकिन उसके मन का लालच दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन किसान उसे बहुत समझता कि इतना सुख सम्पत्ति हमारे लिए बहुत है.

लेकिन वह कहाँ मानने वाली थी. इसी बीच किसान एक दिन जरूरी काम से कहीं बाहर गया हुआ था और रात को घर वापिस नहीं आ पाया था.

तो किसान की पत्नी ने उस रत थाली से एक साथ ढेर सारी चीजें मांग ली. फिर क्या था अगले दिन साधू महाराज के कथन के अनुसार वह थाली और थाली द्वारा दी गयी शुरू से लेकर अब तक की सभी चीजें गायब हो चुकी थी.

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इसके बाद किसान की पत्नी फिरसे अपने टूटे हुए झोंपड़े में आ गई थी. यह सब देख कर वो पछताने लगी.

इतने में किसान भी आ गया और ये सब देख कर उसे समझने में जरा भी देर नहीं लगी और अपनी पत्नी को खूब बोला और कहा, “और करो लालच.”

लेकिन अब सिर्फ पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा था, क्योंकि जैसा कहा भी गया है कि लालच बुरी बला होती है.

इन्सान को जल्दी समझ नहीं आता, उसे तभी समझ में आता है जब सब कुछ खत्म हो चूका होता है और सिर्फ पछताना ही शेष होता है.

Lalach ka fal कहानी 2 – लालच पर छोटी कहानी

एक नगर में में बूढ़ा रहता था, जिसका नाम गरीबदास था। वह घर घर भीख मांग कर, अपना तथा अपनी बीवी का पेट भरा करता था। जब वह अमीर लोगो को ऐश करते देखकर सोचता था कि यह लोग इतने लोभी क्यों है।

इतना ज्यादा धन होने के बाद भी, ओर धन कमाने में लगे रहते है। मुझ जैसे गरीब लोग अपनी जिंदगी कैसे जी रहे है, इस बात पर कोई ध्यान नहीं देता।

इनके लालच का कुआ कभी नही भरता, मुझे तो भगवान 10–15 हज़ार ही दे दे, तो मैं कोई न कोई काम कर लू और अपना जीवन आराम से व्याप्त कर लू। जब वह यह सब सोच रहा होता है तभी उसके सामने लक्ष्मी माता प्रकट हो जाती है।

लालच का फल हिंदी कहानी

वह उस व्यक्ति से कहती है कि बाबा मैं तुम्हारी इस दीन– दशा को देखकर, तुम्हारी हालत सुधारना चाहती हूं। मेरे पास सोने के ढेरों मोहरे है , तुम अपनी झोली खोलो, मैं तुम्हारी झोली सोने से भर दूंगी।

यह सुनकर बाबा बहुत खुश हो जाता है और अपनी झोली खोल आगे करता है। उसकी पुरानी खोली देख कर देवी बोली कि बाबा एक बात ध्यान रखना अगर कोई मोहर नीचे गिरा, तो वह मिट्टी हो जायेगी।

तुम्हारी झोली बहुत ही पुरानी और फटी हुई है इसलिए इसमें इतनी ही मोहर डलवाना जितनी इसमें आ सके। जब थोड़ी सी झोली भर गई, तब बाबा बोला थोड़ा सोना ओर डाल दो अभी तो केवल आधी ही झोली भर है।

थोड़े मोहरे ओर डालने के बाद देवी बोली बाबा अब तो तुम्हे संतुष्ट हो जाना चाहिए, तुम्हारी झोली भी बहुत पुरानी है, कही फट न जाए।

तब बाबा बोला नही नही अभी तो इसमें बहुत जगह है, झोली का कुछ नही बिगड़ेगा, आप निश्चिंत हो कर डालिए।

थोड़े मोहरे ओर डालकर लक्ष्मी रुकी और बोली बाबा अब बस करो, इन मोहरों से तुम्हारी जिंदगी आराम से निकल जायेगी। तब बाबा गिड़गिड़ाते हुए बोला, बस थोड़ी सी ओर।

लक्ष्मी ने मोहरे डालना फिर से चालू किया, लेकिन बाबा की झोली बहुत कमजोर थी जिसकी वजह से वह एक झटके में फट गई और सारे मोहरे नीचे गिर के मिट्टी बन गए।

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गरीबदास बोला, मुझे माफ करदो देवी , एक बार फिर से मोहरे देदो। जब उसने मूंह ऊपर करके तब लक्ष्मी गायब हो चुकी थी और गरीबदास निर्धन का निर्धन ही रह गया।

इसलिए कभी भी लालच न दिखाए, यदि लालच करेंगे तो आप कभी भी चैन की जिंदगी नही व्याप्त कर पाएंगे।

जो आदमी दूसरो को लालची लोभी कहता है, वही अवसर मिलते ही लालच लोभ में फस जाता है और इसका परिणाम तो फिर आप इस कहानी में देख ही चुके होंगे।

लालच का फल कहानी 3

एक बार की बात है। एक मछुआरा अपनी बीवी के साथ सागर के मध्य में एक द्वीप पर एक छोटी सी झोपडी में रहता था। वह जो भी मछलियां पकड़ कर लाता था, वह केवल निर्वाह के लिए होती थी।

वह बहुत ही ईमानदार और  मेहनती व्यक्ति था। एक दिन जब उसने अपने जाल डाला, उसे खींचने पर उसे कुछ भारी सा महसूस हुआ। जाल को बाहर निकालने पर उसने देखा कि उसमे एक छोटी सी सुनहरे रंग की मछली थी।

लालच का फल हिंदी कहानी

 

परंतु वह कोई साधारण मछली नही थी। वह व्यक्ति की आवाज में बोली, हे मानव! मुझे मत पकड़ो! मुझे सागर में ही रहने दो। तुम्हारी कोई इच्छा हो तो बताओ, मैं उसे पूरा जरूर करूंगी।

मछुआरा बोला, नही मुझे कुछ नहीं चहितेज तुम जाओ अपने सागर में ही रहो। यह कहकर उसने मछली को पानी में ही छोड़ दिया। घर पहुंच कर उसकी बीवी बोली, आज कितनी मछलियां पकड़ी?

वह बोला, कुछ नही आज तो केवल एक सुनहरी मछली जाल में फसी थी, उसे वापस वही छोड़ दिया। वह मनुष्य की आवाज में मुझसे बोली कि मुझे छोड़ दो, बदले में कुछ भी लेलो। मैने उसे छोड़ दिया।

तभी उसकी बीवी क्रोधित हो कर बोली, अरे मूर्ख ये तुमने क्या किया, कम से कम खाने के लिए रोटी तो मांग ली होती। वह उसे पूरा दिन ताने देती रही। आखिर में मछुआरा फिर से वहा गया रोटी मांगने।

वहा पर उसने ज़ोर से आवाज लगाई। मछली! ओ सुनहरी मछली! मेरे पास आओ! यह सुनकर सुनहरी मछली सागर के किनारे आई। वह बोला कि मेरी बीवी मुझ पर बहुत नाराज़ हुई, उसने मुझे रोटी लाने भेजा है।

मछली के आश्वासन पर मछुआरे ने घर पहुंचकर देखा कि सचमुच वहा रोटियों का ढेर लगा है। उसकी बीवी बोली रोटियां तो ढेर सारी हो गई। अब आप उससे घर मांग कर आओ।

इसके बाद फिर मछुआरे ने अपनी बीवी के कहने पर एक घर मांगा। परंतु इतने पर भी उसकी बीवी का पेट नहीं भरा।  घर मिलने के बाद उसकी बीवी क्रोधित हो जाती है और कहती है अरे मूर्ख! इतने अच्छे अवसर को तुम कैसे गवा सकते हो।

उस मछली को जा कर कहो कि मैं एक सुंदर औरत बनना चाहती हूं। उसने फिर मछली को बुलाकर अपनी मांग बताई। मछली बोली जाओ दुखी मत हो, जैसी तुम्हारी पत्नी की इच्छा है, वैसा ही होगा।

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इस बार जब मछुआरा घर पहुंचा, तब उसने देखा यह एक तीन मंजिला मकान है और नौकर काम कर रहे है। तब वह मछुआरा अपनी बीवी को बोला कैसी हो मेरी सुंदर बीवी।

यह सुनकर उसकी बीवी क्रोधित हो गई और बोली तुम इतनी सुंदर औरत को अपनी बीवी कैसे बोल सकते हो। नोकरो इधर आओ और इसको चालीस चाबुक लगाओ।

उसे मारने के बाद उसकी बीवी ने उसे नोकर बना दिया, वह पूरा दिन सफाई करने में लगा रहा। कुछ समय बाद उसकी बीवी ने उसे कहा कि जाओ अब मछली को कहो कि मुझे रानी बनना है।

मछली ने उसकी यह मांग भी पूरी कर दी। जब वह व्यक्ति घर आया तब वह देखता है कि अब उसके घर की जगह सोने का महल था।

इतना सब होने के बाद भी उसने मछुआरे को कहा कि जाओ अब मुझे पूरा सागर चाहिए परंतु मछुआरे ने इंकार कर दिया। पत्नी के डाट फटकाने के बाद वह मछली के पास जा कर आवाज मारता है परंतु वह इस बार बार नही आती है।

बहुत समय बाद जब वह आई तब उसे वह मछुआरा दुखी हो कर कहता है कि मेरी बीवी इस सागर की मालकिन बनना चाहती है। यह सुनकर मछली कुछ नही बोली और चली गई।

जब वह मछुआरा घर पहुंचता है तब वहा सब पहले जैसा हो गया था, महल की जगह वही झोपड़ी आ गई थी। झोपड़ी के अंदर उसकी बीवी दुखी हो कर बैठी थी, उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा था।

मछुआरा फिर से पहले जैसे मछलियां पकड़ने जाता, परंतु अब उसके जाल में कभी वह सुनहरी मछली नही फसी।

निष्कर्ष:

तो दोस्तो, इन कहानिओं से आपने जाना कि lalach ka fal हमेशा बुरा ही होता है.  लालच करना पहले तो बड़ा अच्छा लगता है लेकिन जब सब कुछ अपने हाथ से निकल चूका होता है तो हम बीएस पछताते रह जाते हैं. इसलिए दोस्तो, हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए.

क्योंकि जब मन में लालच की भावना उत्पन हो जाती है तो हमें चाहे कितनी ही चीजें प्राप्त क्यों ना हो जाएँ फिर भी हमें कम ही लगता है और हमें लगता है उन चीजों को और जल्दी पा लें.

लेकिन हर चीज़अपने सही समय पर मिलती है. जैसा कि हम देखते हैं सूर्य अपने ही समय पर उदय होता है, बरसात अपने ही समय पर होती है, फिर हमें हर चीज़ को पाने की इतनी जल्दी ना जाने क्यों हो जाती है.

इसलिए हमें अपने मन में संतोष की भावना रखनी चाहिए.

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