संगत का असर: हम एक समाज में रहते हैं हमारे आस पास बहुत से लोग होते हैं, हम अपना जीवन अकेले व्यतीत नहीं कर सकते इसलिए हमें लोगों के साथ रहना पड़ता है, संगति चुननी पड़ती है।
यह हम पर निर्भर करता है कि हम कैसी संगति चुनते हैं, अगर आप अच्छी संगति चुनते हैं तो आप जीवन में आगे बढ़ेंगे बुरे कामों में नहीं पड़ेंगे किंतु आप अगर बुरी संगती चुन लेते हैं तो आपका जीवन खराब हो जायेगा।
संगत कैसी भी हो उसका असर हमेशा हमारे ऊपर पड़ता जरूर है, इसलिए हमेशा अच्छी संगत में रहना चाहिए। आप सपने सुना तो होगा ही एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है यही कहावत मनुष्यौ पर भी लागू होती है।
अच्छी सोच वाले व्यक्ति हमेशा आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे और बुरी सोच वाले व्यक्ति आपको पीछे खींच लेंगे आपको बुरे कामों में डालेंगे.
इसीलिए ऐसे व्यक्तियों के आसपास रहिए जिनका व्यवहार अच्छा हो, ऐसे लोगों की संगति आपके लिए अच्छी साबित होगी।
आइए हम आपको एक कहानी सुनाते हैं जिससे आपको पता चलेगा जी संगत का असर कैसा होता है और हमारे जीवन पर क्या प्रभाव डालता है.
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संगति का फल कहानी कहानी 1
एक गांव में किसी आदमी के पास बहुत सी गाये थी. वह गायों का दूध बेच कर अपना गुजारा करता था. एक बार उनके गांव में कई महात्मा आए और वहां यज्ञ करने लगे और वो वृक्षों के पत्तों पर श्री कृष्ण श्री कृष्ण लिख रहे थे।
वह व्यक्ति रोज अपनी गायों को वहां चराने ले जाता था. एक दिन एक गाय ने वह श्री कृष्ण नाम लिखा पत्ता खा लिया. शाम को जब सभी गाय वापस अपने बाड़े में चली गई तब वह गाय “श्री कृष्ण श्री कृष्ण” बोलने लगी.
तभी सारी गाये उसे बोली, “ये तुम क्या बोल रही हो, तो वह बोली, श्री कृष्ण नामम रूपी पत्ता मेने खा लिया है, ऐसा लगता है यह नाम मेरे अंदर समा गया और मेरा अहंकार चला गया.”
ऐसा कहकर वह गाय “श्री कृष्ण श्री कृष्ण” नाम जपती रही. सभी गायों ने निर्णय लिया कि इसे अपनी टोली से बाहर कर देते हैं. सुबह जब व्यक्ति आया तो उसने देखा कि वह गाय बाड़े के बाहर खड़ी है.
तो वह उसे वापस बाड़े के अंदर करता है परंतु बाकी की गाय उसे सिंग मार कर वापस बाड़े के बाहर कर देती है. उस व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आता कि सभी गाये इसे दूर क्यों कर रही है, इसको कोई बीमारी तो नहीं हो गई.
कहीं ऐसा ना हो कि एक गाय के चक्कर में मेरी सभी गाय बीमार हो जाए, तो वह व्यक्ति रात को उस गाय को जंगल में छोड़ आता है।
जंगल मैं एक चोर को वह गाय मिलती है. वह उसे दूर गांव में ले जाकर किसी किसान को बेच देता है. वह किसान भी देखता है कि यह गाय सारा दिन श्री कृष्ण श्री कृष्ण जपती रहती है.
अब किसान उस गाय का दूध बेच कर अपना गुजारा करने लगा. श्री कृष्ण नाम के प्रभाव से उस गाय का दूध अमृत समान हो गया। दूर–दूर से लोग उस गाय का दूध लेने आने लगे और उस किसान के घर के हालात सुधरने लगे।
एक दिन राजा के मंत्री वहां से गुजर रहे थे, तभी वह किसान के घर रुके तो किसान ने उन्हें उस गाय का दूध पिलाया, वो दूध पीकर मंत्री किसान से बोले हमने ऐसा दूध कभी नहीं पिया.
किसान बोला यह तो इस गाय का दूध है जो सारा दिन श्री कृष्ण श्री कृष्ण करती रहती है।
श्री कृष्ण नाम का जाप करती उस गाय को देखकर मंत्री हैरान रह जाते हैं और वापस महल को लौट जाते हैं।
उन दिनों उस नगर की रानी बीमार थी, कई वैद्यों के उपचार के बाद भी जब वह ठीक ना हुई तो राजगुरु बोले कि रानी को तो भगवान ही बचा सकते हैं. तभी मंत्री ने राजा को उस गाय के बारे में बताया.
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राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ और वह मंत्री के साथ किसान के पास पहुंचे और उस गाय को देखकर हैरान रह गए. राजा, किसान से बोले यह गाय मुझे दे दो.
किसान हाथ जोड़कर राजा से बोला, “महाराज, इस गाय के कारण मेरे घर के हालात ठीक हुए हैं, मैं यह गाय यदि आप दे दूंगा तो मैं फिर से भूखा मरने लगूंगा. राजा बोला मैं आपको इस गाय के बदले इतना धन दूंगा कि आप की गरीबी दूर हो जाएगी.
तब किसान ने खुशी-खुशी गाय को राजा को दे दिया।
अब वह गाय महल में रानी के पास रहती है और श्री कृष्ण नाम का जाप करती रहती. श्री कृष्ण नाम के जाप को सुनने से और उस गाय के अमृत रूपी दूध को पीने से रानी की सेहत सुधरने लगी और धीरे-धीरे वह ठीक हो गई.
अब गाय राज महल में राजा के साथ रहने लगी उस गाय की संगत में सारा गांव श्री कृष्ण नाम का जाप करने लगा पूरे महल में और पूरे नगर में श्री कृष्ण नाम का जाप गूंजने लगा.
श्री कृष्ण नाम के प्रभाव से एक पशु राज महल के सुखों को भोगने लगी. इसी तरह श्री कृष्ण नाम के जाप से मनुष्य भी भवसागर से पार हो सकता है।
शिक्षा:
गाय ने श्री कृष्ण की शरण चुनी, गाय की संगति में जितने भी लोग आए उन सब का जीवन सुधर गया। इसलिए ऐसे संगति चुनिए जिससे आप जीवन आगे पढ़े और ऐसे व्यक्ति बनी है जिस की संगत में सब रहना चाहे आप की संगत का असर दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालें।
संगत का असर कहानी 2
एक समय की बात है एक शहर में बहुत अमीर परिवार रहता था. उस परिवार में किसी प्रकार की कोई चिंता या कमी नहीं थी. परिवार में माता पिता और उनका एक इकलौता बीटा रहा करता था.
वह लड़का अपने माता पिता के पैसों पर ऐश करता था जिसकी वजह से उसके काफी सरे दोस्त भी बन गए थे. दोस्तों की बुरी आदतों से उस अमीर परिवार का लड़का बुरी तरह से घिर गया.
उसमे धीरे धीरे बुरी आदतों का विकास होता चला गया.
बेटे की बुरी आदतों से परेशान होकर उसके माता पिता दिन प्रतिदिन चिंतित रहने लगे. दोनों अपने बेटे को समझाते थे परन्तु बेटे को यह बात समझ में नहीं आती थी.
माता पिता को भी यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार बेटे की बुरी आदतों को किस तरह से सुधारा जाए.
यह बात उनके लिए एक चिंता का विषय बन गयी थी. बेटे की बुरी आदतों से परेशान होकर उस के पिता ने उसे एक सबक के जरिए संगति के असर के फायेदे और नुकसान के बारे में सिखाना चाहा.
एक दिन लडके के पिता लडके को अपने साथ बाजार लेकर गये. पिता ने बाजार से कुछ संतरे खरीदे, उसके पिता ने साफ संतरों में एक सडा हुआ संतरा भी खरीद लिया.
वह दोनों घर वापिस आ गये. घर आकर पिता ने बेटे को बोला कि बीटा तुम इन संतरों को अलमारी में रख दो. पिता की आज्ञा मान कर बेटे ने सरे संतरे अलमारी में रख दिए.
कुछ दिन बार पिता ने बेटे को फिर से बुलाया और बोला, “बेटा, जो संतरे तुमने अलमारी में रखे थे उनको बाहर निकाल कर लेकर आओ.” लड़का संतरे निकालने चला जाता है, लेकिन जैसे ही उसने अलमारी खोली तो देखा सारे के सारे संतरे सड चुके थे.
उसने पिता के पास आकर सरे संतरे रख दिए और कहा कि पिता जी, जो हमने संतरे खरीदे थे वो सारे सड चुके हैं.
बेटे की बात सुन कर पिता ने बेटे को समझाया और बोला, “कि देखा बेटा, जो हमने संतरे खरीदे थे तो उनमे एक सडा हुआ संतरा भी खरीद लिया था, जिसकी वजह से बाकि के सारे संतरे भी सड गए.
यही बात तुम पर फिट बैठती है, यदि तुम बुरे दोस्तों की संगति में रहते हो तो तुम्हारी सोच और आदतें भी वैसी ही हो जाएँगी. फिर चाह कर भी तुम अच्छे इंसान नहीं बन सकते.
पिता की बात सुनकर लडके को अब अपनी गलती का एहसास हुआ. उसे समझ में आ गया कि बुरी संगत से अच्छा इन्सान भी बुरा बन सकता है और अच्छी संगत से बुरा इंसान भी बुरा बन सकता है.
लडके ने अपने माता पिता से मुआफी मांगी और गलत संगत छोड़ने का वचन दिया.
संगत कैसी होनी चाहिए
यदि आप किसी श्रेष्ठ व्यक्ति की संगति में आते हो तो उसके शुभ विचार, उसके गुण और उसका स्वभाव आप में आ जाता है, आप और श्रेष्ठ बन जाते हो.
यदि यही आप किसी बुरे व्यक्ति की संगति में आ जाते हो तो आपके ये शुभ विचार, आप के यह गुण वो कब आप से छीन लेगा आपको ज्ञात भी नहीं होगा.
दोसतो, यह संगति बहुत महत्वपूरण है, यह संगती की आपकी नियति निर्धारित करती है.
निष्कर्ष:
तो दोस्तो, किसी भी व्यक्ति पर संगत का असर पड़ ही जाता है. जैसे आकाश से गिरते हुई वर्षा की बूँदें बिलुकल निर्मल, उज्जवल और पवित्र होती हैं. लेकिन जैसे ही बो जमीन पर आकर के गिरती हैं, गंदी हो जाती हैं मलीन हो जाती हैं और मिट्टी में मिलकर वो कीचड़ हो जाती हैं.
ठीक ऐसे ही इंसान भी अगर बुरी संगत में चला जाए तो वो भी मलीन और बुरा होने से बच नहीं सकता.
आपको यह कहानियाँ “संगत का असर” कैसी लगीं, हमें कमेंट करके जरूर बताएं, धन्यवाद !!
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bahut hi mast story