मोटिवेशन का मतलब क्या है
Self motivation poem: मोटिवेशन का मतलब है कि किसी भी काम या किसी भी मोटिव को पूरा करने की इछ्छा को और बढ़ा देना. जैसे मान लीजिये आपको एक बड़ी गाडी चाहिए, तो इसके लिए आप क्या करेंगे? तो सिंपल सी बात है कि अगर आप के पास उतना पैसा है तो फिर आप तुरंत जाकर वो गाडी खरीद लेंगे.
लेकिन अगर आपके पास पैसा नहीं है और वो गाडी आपके सपनों की गाडी है तो यह बात आपको पता है कि गाडी खरीदने के लिए आपके पास पैसे चाहिए जो आपके पास नहीं है.
तो मोटिवेशन पैसे कमाने की इच्छा को और बढ़ाने के लिए होगा यानि कि मेहनत करके ज़्यादा पैसा कमाने के लिए.
मोटिवेशन की ज़रूरत क्यों पड़ती है
जीवन में आगे बढ़ने के लिए मोटिवेशन की खास ज़रूरत होती है. ये वो पॉवर है जिसकी वजह से इंसान के अंदर आगे बढ़ने का होंसला बना रहता है. हम खुद को कई तरीकों से मोटीवेट कर सकते हैं. इसलिए आज हम आप के लिए कुछ self motivation poem लेकर आए हैं.
Self Motivation Poem Hindi
“कब तक रखोगे रोककर, बढ़ चलो ये सोचकर”
ओट में कब तक छुपोगे !
राह में कब तक रुकोगे !!
कब तक रखोगे रोककर !
बढ़ चलो ये सोचकर !!
ये बारिशें चलती रहेंगी !
भीगना फिर भी तुम्हें है !!
बढ़ चलो ये सोचकर !
कब तक रखोगे रोककर !!
आग पर मैंने कहा कब, हाथ अपना झोंक आओ !
एक छोटा दिया सांचो !!
आग को दीपक बनाओ !!!
आग जैसे भी जलेगी !
बात ये तो रहेगी ही !!
जग जले या हथेलियाँ !
झुलसना फिर भी तुम्हें है !!
ये बारिशें चलती रहेंगी !
भीगना फिर भी तुम्हें है !!
बढ़ चलो ये सोचकर !
कब तक रखोगे रोककर !!
लक्ष्य जबकि दूर है, तो इस तरह तुम क्यों खड़े हो !
रस्ते में खो गये या लक्ष्य से डरने लगे हो !!
यदि डर गये तो जान लो !
ये बात कसकर बाँध लो !!
अब चलो या बाद में !
चलना फिर भी तुम्हें है !!
ये बारिशें चलती रहेंगी !
भीगना फिर भी तुम्हें है !!
कब तक रखोगे रोककर !
बढ़ चलो ये सोचकर !!
जिसको रखनी धार है !
उसे तो घिसना पड़ेगा !!
बहुत कुछ सहना पड़ेगा !!!
बहुत कुछ सुनना पड़ेगा !!!!
वक़्त रहते मान लो, राह कोई थाम लो !
क्योंकि धार बन पाए न पाए !
पिघलना फिर भी तुम्हें है !!
ये बारिशें चलती रहेंगी !
भीगना फिर भी तुम्हें है !!
बढ़ चलो ये सोचकर !
कब तक रखोगे रोककर !!
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“खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा”
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !
कठिन रास्तों पे चलके नई दास्ताँ लिखूंगा !!
अकेला चलूँगा मगर कारवाँ लिखूंगा, अकेला चलूँगा मगर कारवाँ लिखूंगा !!
पैर जमीं पे होंगे लेकिन सपनों में आसमां लिखूंगा !
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा, खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !!
न सपनों की तस्वीर बदलूँगा !
न चलने का तेवर बदलूँगा !!
घेरे चाहे प्रलय की घनघोर घटाएं !
रास्तों से ही मंजिल का पता पूछूंगा !!
अपनी रह खुद बनाऊंगा, खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !!
सतह तपे या पैरों में छाले पडें !
अपनी धुन में चलता जाऊँगा !!
खुद ही हमसफ़र और खुद से ही आगे बढ़ता जाऊंगा !
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !!
बुरे वक़्त का चेहरा बेनकाब करूंगा !
अच्छे वक़्त का खुद आइना हो जाऊंगा !!
भाग्य की रेखाओं को कर्म से बनाऊंगा !
किस्मत का सितारा खुद ही बन जाऊंगा !!
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !!
अंतरद्वन्द से खुद जीतूँगा !
प्रगति या अगति का मापदण्ड बदलूँगा !!
खुद से खुद का परिचय करवाके !
इतिहास पढ़ने वालों के लिए नई दास्ताँ लिखूंगा !!
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !!
संसाधनों की बुनियाद चाहे जैसी हो !
नींव विश्वास की, ईंट हिम्मत की,
नक्काशीं ख्वाहिशों की रखूंगा,
नाम धर्म शोभा रखूँगा ,
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा, खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा !!
“ज़िन्दगी जी के तो देखो”
किसी अजनबी से बात करके तो देखो,
अपनी झिजक से आगे बढ़ के तो देखो,
किसी अनजान को मुस्कुराहट दे के तो देखो,
कुछ रूठों को चाहत दे के तो देखो !!
रोते आए थे पर रोते जाएंगे ऐसा ज़रुरी नहीं है,
ये दुनिया इतनी बुरी नहीं है !!
कुछ पुराने पन्नों को हिला के तो देखो,
अचानक उनको फोन मिला के तो देखो,
कुछ ज़ख्म ऐसे साफ़ करके तो देखो,
उनको और खुद को माफ़ करके तो देखो !!
रस्ते अलग हैं अब पर दिलों में दूरी नहीं है,
ये दुनिया इतनी बुरी नहीं है !!
दोस्ती का हाथ बढ़ा के तो देखो,
अपनों को प्यार जता के तो देखो,
बिना कारण के खुशियाँ मना के तो देखो,
खुद से ही गीत गुनगुना के तो देखो !!
हर साँस से ज़िन्दगी है कोई मजबूरी नहीं है,
ये दुनिया इतनी बुरी नहीं है, ये दुनिया इतनी बुरी नहीं है !!
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“ऐ कामयाबी तू रूठना मत”
Self motivation poem hindi
तुझसे मिलने में मुझे अभी वक़्त लगेगा, ऐ कमयाबी तू रूठना मत !
कुछ वक़्त खर्च होगा ज़िम्मेदारियाँ निभाने में,
कुछ वक़्त लगेगा इरादों को मज़बूत बनाने में,
कुछ वक़्त लगेगा तुझ तक आने में,
हो सके अगर, ऐ कामयाबी तू रूठना मत !!
मैं जानता हूँ तू मेरे लिए रुक नहीं सकती,
मेरी बातों में आकर तू फस नहीं सकती,
तू मेरे अलफ़ाज़ नहीं, मेहनत की आवाज़ समझती है,
मुझसे दूर होकर भी तू मुझे हर रोज़ परखती है,
जब मिलेंगे हम, तो थोड़ा रोकर और थोड़ा हस कर दिखाऊंगा,
टूटते- टूटते संभलने के हजारों किस्से सुनाऊंगा,
हो सके अगर, ऐ कामयाबी तू रूठना मत !!
मेरी कोशिशों को पहचान मिलना अभी बाकी है,
मेरे पागलपन का इम्तेहान अभी बाकी है,
पर मुझ में तुझे पाने का जज़्बा बहुत है,
तुझसे मिलने का ख्वाब मेरा पूरा होना अभी बाकी है !!
खुद से जो किया है वादा वो मैं ज़रूर निभाऊंगा,
तू मुझसे नाराज़ हो जाना मैं तुझे अपनी मेहनत से मनाऊंगा !!
तू ठिकाने बदलती रहना, मैं तुझ तक पहुँच कर दिखाऊंगा,
तू बीएस थोडा सब्र रखना, हो सके तो मेरी चाहत की कद्र रखना,
बस ऐ कामयाबी तू रूठना मत, ऐ कामयाबी तू रूठना मत !!
“जीतना अभी बाकी है”
तू कर हिम्मत उठ कर चलने की !
तेरी हिम्मत की परीक्षा अभी बाकी है !!
कदम दर कदम चलना ही सीखा है तुमने !
ज़िन्दगी के रास्तों में दौड़ना तेरा अभी बाकी है !!
रंग उम्मीद का उतरने ना देना,
ज़िन्दगी में कई रंगीनियाँ अभी बाकी है !!
देख रहा है ज़माना तुम्हें घूरकर !
संभल जा थोड़ा, ज़माने को घूरकर देखना अभी बाकी है !!
एक एक कर साथ छूट रहा है !
देखता रह किन किन का हाथ छूटना अभी बाकी है !!
अँधेरा है राहों में और डर है निगाहों में !
चलता रह राही, सुबह का पहर आना अभी बाकी है !!
कोशिश करके भी हर बार जो निराशा मिली !
मत हो उदास, कोशिशों का संसार अभी बाकी है !!
धुप है तेज़ मुश्किलों की, तोड़ मत इरादों को !
राहतों की ठंडी छाँव अभी बाकी है !!
पतझड़ है जो अभी चरम पर !
नयी उम्मीदों का बसंत अभी बाकी है !!
“धरती जीत ली फिर भी आसमान जितना बाकी है”
Self motivation poem hindi
चाहे हो धरती या आसमान, सारे हैं तेरे जलवे और अरमान,
आशा को तू जीत ले, हो निराशा को तू घोंट ले !!
था जिसने उड़ाया तेरा मज़ाक,
ठोकेंगे वे सलाम कल तुझे !!
होंसले को सिर्फ तुझे बुलंद बनाना है!!
धरती जीत ली फिर भी आसमान जीतना बाकी है !
अंगारो से भरी हुई है ये ज़मीन,
अश्रुओं की वर्षा होती रही जो हर रात दिन,
हवाओं की झोंको ने कर दिया प्यार का वो आशियाना भिन्न,
टुटा हुआ दिल एक और बार बिखर-सा गया उस दिन !!
तेरा दिल है क्या कोई कांच,
लगाएं कौन उसमे कोई भी आंच,
हारे हुए से मन में फिर से जोश जगाना है,
धरती जीत ली फिर भी आसमान जितना बाकी है !!
कांटो से सजी हुई है जो ये ज़मीन,
जंग के मैदानों में बज रही हैं नगारों की मुहीम,
तू अपने मंज़िल तक खींच के एक लकीर,
लड़ाई के इस रख में रुकना बस मत तू, रुकना बस मत तू !!
घोंट के पसीनो की बना के खीर ,
तोड़ दे अपने पैरो की ज़ंज़ीर,
तोड़ दे अपने पैरो की ज़ंज़ीर !!
जो तीर जाये चूक अपने निशाने से ,
उस तीर का क्या इनाम है ?
अरे उठा अपने हतियारो को ,
अभी तोह लड़ना और बाकी है !!
धरती जीत ली फिर भी आसमान जितना बाकी है !!
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“खुद को याद दिलाना होगा”
नींद-चैन का त्याग कर, आँख खोलनी पड़ती है,
मेहनत करना आसान नहीं, पूरी जान झोंकनी पड़ती है !
दिन-रात को एक बनाकर, मेहनत से सफलता मिलती है,
माली के खून पसीने से ही बाग़ में कलि खिलती है !
जिस मेहनत को करने से तू आज थर-थर कांपता है,
इसी मेहनत और तपस्या में सफलता का रास्ता है !
इस दृढ़ता, इस पागलपन को आदत तुझे बनाना होगा,
छू सकता है तू हर मंज़िल खुद को याद दिलाना होगा !
हार-जीत की सोच रखे बिन, मेहनत अब तुझे करनी है,
लोगों की क्यों बात सुने, जब जंग तुझे खुद लड़नी है !
कोशिश तेरी काया, और मेहनत तेरी परछाई है,
लोगों की इन बातों से नहीं, खुद से तेरी लड़ाई है !
कठिन राह है काँटों वाली, किन्तु मंज़िल में फूल मिलेंगे,
परिश्रम तेरा कठिन है किन्तु, परिणाम तेरे अनुकूल मिलेंगे !
परिश्रम की गर्मी में, खुद को तुझे तपाना होगा,
छू सकता है तू हर मंज़िल, खुद को याद दिलाना होगा!
दुनिया गीत गाएगी तेरे अबकी बार देखना,
चूक रहे न कोशिश में कुछ, एक ऐसी पारी खेलना !
ये कठिन परिश्रम तेरा, ये मेहनत रंग लाएगी,
रात अमावस की है काली, पर फिर दिवाली आएगी !
अभी जमीन का कण भर है, आगे पूरा आकाश है,
बीएस चलते जाना है तुझको, मंजिल तेरे पास है !
इस कीमती जीवन को व्यर्थ नहीं गवाना होगा,
छू सकता है तू हर मंज़िल, खुद को याद दिलाना होगा !
“जीवन का उद्देश्य”
अपने उद्देश्य को पाने की ललक, संकेत है जीवित रहने का,
जो बिना उद्देश्य रहे दुनिया में, उसे हक नहीं खुद को जीवित कहने का !!
कठिनाई और परिश्रम तो जीवन के ही अंग हैं,
परिश्रम से हल करना कठिनाई, जीवन जीने का ढंग है !!
कोशिश अपनी रहेगी सदा, जीवन उद्देश्य को पा जाएँ,
पाँव नहीं बंधने देंगे, चाहे लाख बेड़ियाँ आ जाएँ !!
गंगा सा मन चाहिए, चाहिए धैर्य समुद्र सा,
पहाड़ से ऊँचे होंसले चाहिए, चाहिए समर्पण सैनिक सा !!
हालात भले ही बुरे सही, इरादे परन्तु नेक हों,
इसी निष्ठा से पाओगे मंजिल, तन, मन धन यदि एक हों !!
अगर मिला है जीवन तो, इसे व्यर्थ नहीं गंवाना है,
कुछ अनोखा उपहार इंसानियत को, देकर हमने जाना है !!
“बदलना अपना दृष्टिकोण”
Self motivation poem hindi
चलो स्वंय से निर्णय करें हम,
विपत्ति का खोजेंगे समाधान !
एकाग्र अगर हम हो सके तो,
पत्थर में प्रकट होंगे भगवान !!
पथ में होंगे अनेकों अनुभव,
कभी चंचल मन मानेगा हार !
प्रयास करना व्यर्थ ही होगा,
विफलता कहेगी यह बारंबार !!
किन्तु तेरे समक्ष हे! मानव प्रतिएक विपत्ति होगी ढेर !
सफलता कदम चूमेगी तेरे,
धैर्य रखना होगा थोड़ी देर !!
संकट तुझसे बड़ा ना कोई,
पर्वत तूने का घमंड तोडा !
विरत सरिता की लहरों को,
अपनी बुद्धिमता से मोड़ा !!
जीवन की किसी राह में,
एक क्षण न होना निराश !
अपने गुणों को करना प्रखर,
कभी ना खोना तू विश्वास !!
बाधा कोई जब न सुलझे,
ध्यान लगाना रहना मौन !
समस्या में ही हल होगा,
बदलना अपना दृष्टिकोण !!
“एक जिद्द लेकर चला हूँ”
बहुत सारी वजह हैं ज़माने के पास मुझे रोकने के लिए,
मेरी एक ही जिद्द काफी है सफलता तक पहुँच जाने के लिए !!
कदम-कदम पर दुकाने हैं धोखे, अविश्वास व तकलीफों की,
मई नक्शा साथ लेकर चला हूँ अपनी मंज़िल का !!
साथ ऐसा निभाते हैं यहाँ लोग,
गर्दिशों की दौर में नज़र नहीं आते हैं लोग !!
मैं दोस्ती खुद से पक्की करके चला हूँ,
चलते रहो अपनी धुन में तो भी धक्का दे जाते हैं लोग,
मैं फिरसे संभलकर चलना सीख कर चला हूँ !!
इस दुनिया रूपी बाज़ार की सजावटें बड़ी लुभावनी हैं,
अकसर रुक जाते हैं पथिक इस में खो कर,
मैं नज़रें दुरुस्त करा के चला हूँ !!
थक जाना लाज़मी है मेरा क्योंकि मैं चलता हूँ,
हार नहीं मान लूं कहीं थक कर,
इसलिए सपनों का संसार साथ लेकर चला हूँ !!
“बात पहले हो योग्यताओं की”
समय से पहले बोझ लगती हैं सफलताएँ,
ऊँचाईयों को थामे रखने में लगती हैं क्षमताएं !
कभी गति तेज़ तो कभी धीमी ही सही,
क्यों शीघ्रता हो तुम्हें सफलताओं की,
बात पहले हो योग्यताओं की !!
हर क्षण विलंब का निपुणता में जुड़ता रहेगा,
व्यर्थ ना होगा कुछ भी, श्रम से तेरा व्यक्तित्व निखरता रहेगा !!
जो रखा है नियति ने उसके योग्य बनते हैं,
विधाता से नहीं, कुछ प्रश्न स्वंय से करते हैं !!
मिला है कुछ समय तो, परख ले हर तीर तरकश का,
फिर जब चढ़े तब चढ़े प्रत्यंचा धनुष की,
क्यों शीघ्रता हो तुम्हें सफलताओं की !!
किसे, किस रण का परिणाम ज्ञात होता है?
जो निष्काम लड़ता रहे, योद्धा वही वीर होता है !!
एक मन अधीर कितनी देर शिखर पर टिक पायेगा,
सुजन वही प्रवासी, जो प्रयास को अभ्यास बनाएगा !!
मिला है कुछ अवकाश तो, हर पहलु तराश ले कौशल का,
फिर जब हो तब हो श्रंखला परीक्षाओं की,
क्यों शीघ्रता हो तुम्हें सफलताओं की,
बात पहले हो योग्यताओं की !!
दोस्तो, हमें उम्मीद है आपको यह self motivation poem पसंद आई होंगी.
Self motivation poem books in hindi:
- पहचान (Vijay Kumar Sharma ‘Arsh’)
- शब्दों की ज़िम्मेदारी (Dr. Jagat Shah)
- जीतना है तो जिद्द करो (Hundiwalan S.)
- स्वंय में विश्वास (Murphy Joseph)
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