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विद्यार्थी जीवन पर निबंध | Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

विद्यार्थी जीवन पर निबंध: विद्यार्थी शब्द विद्या+अर्थी शब्दों के योग से बना है जिसका अर्थ है विद्या प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति जब कोई बालक/ व्यक्ति नियमित रूप से विद्या प्राप्त कर रहा होता है तो उसे विद्यार्थी कहते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो आलस, क्रोध, गुरु का अपमान, अति निद्रा, लालच और किसी का अपमान, इन सब का त्याग कर दे।

विद्यार्थी जीवन पर निबंध

एक अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अपने गुरु का, अपने माता-पिता का अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए व उनकी हर आज्ञा का पालन करना चाहिए। विद्यार्थी का धर्म है कि वह परिश्रम करता रहे इसी परिश्रम से वह अपने भविष्य को अच्छा बनाएगा।

चाणक्य कहते थे कि

“काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च।

अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं॥”

किसी भी विद्यार्थी में क्या गुण होने चाहिए इस श्लोक से पता चलता है. इस श्लोक का अर्थ है कि एक विद्यार्थी को कौव्वे की तरह जानने की चेष्टा करते रहना चाहिए, बगुले की तरह मन लगाना (ध्यान करना) चाहिए, कुत्ते की तरह सोना चाहिए, काम से काम और आवश्यकतानुसार खाना चाहिए और गृह-त्यागी होना चाहिए।

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आदर्श विद्यार्थी के लक्षण

यह सभी गुण पारंपरिक गुरुकुल प्रणाली के अनुसार थे, गुरुकुल में विद्यार्थियों को बहुत से नियम व कानून का पालन करना पड़ता था। जैसे जैसे समय परिवर्तित होता गया नियम व कायदे भी बदलते चले गए तो हम आज के समय के हिसाब से आपको अच्छे विद्यार्थी के कुछ गुण बताएंगे.

अनुशासन

एक विद्यार्थी का पहला और आवश्यक गुण होना चाहिए कि वह अपनी जिंदगी में सदैव अनुशासन का पालन करें।

अच्छे विद्यार्थी को सदैव अनुशासन मैं रहना चाहिए और सभी नियमों का पालन करना चाहिए इससे विद्यार्थी में सहन शक्ति उत्पन्न होती है।

विद्यार्थी को हमेशा अपने माता पिता , शिक्षकों , बड़ों की आज्ञाओं को पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या के साथ-साथ अनुशासन भी आवश्यक हैं।

अपनी दिनचर्या, चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी के लिए अनुशासन का पालन करना परम आवश्यक है। अनुशासन का पालन बचपन से ही किया जाना चाहिए।

सत्य का पालन

विद्यार्थी जीवन पर निबंध

एक विद्यार्थी को सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए। “सत्य” विद्यार्थी का आवश्यक गुण है।

विद्यार्थी को हमेशा सत्य असत्य के बीच फर्क करना आना चाहिए सत्य ही सब को उचित और अनुचित का ज्ञान कराता है, सत्य रूपी गुण तो विद्यार्थी के साथ-साथ हर व्यक्ति में होना चाहिए।

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अल्पाहारी

विद्यार्थी जीवन साधना एवं तपस्या का जीवन है। एक अध्ययनशील विद्यार्थी सदा सादा-सात्विक तथा अल्प भोजन लेने वाला होता है।

तामसिक, राजसिक तथा अधिक आहार वाले विद्यार्थी की जीवनी-शक्ति का बड़ा भाग भोजन पचाने में, नींद, आलस्य तथा तन-मन की बीमारियों का सामना करने में खरच हो जाता है।

विद्यार्थी जीवन की सफलता के लिए स्वास्थ्य के प्राकृतिक नियमों का पालन अति आवश्यक है।

विद्या

आदर्श विद्यार्थी के लक्षण

विद्या के गुण के बगैर व्यक्ति को विद्यार्थी नहीं कहा जा सकता है। विद्या के गुण से तात्पर् सिर्फ साक्षर होने से नहीं बल्कि शिक्षित होने से है।

विद्यार्थी को सिर्फ अपने विषयों मे पारंगत नहीं होना चाहिए बल्कि उनको समझने, समाज और संस्कृति को समझने का भी प्रयास करते रहना चाहिए ।

विद्या एक विद्यार्थी का मूल लक्ष्य होना चाहिए और विद्या ग्रहण की प्रक्रिया सीमित रूप मे न होकर असीमित रूप मे होनी चाहिए।

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वको ध्यानम्

बगुला तालाब या नदी के किनारे एक पैर पर खड़ा रहकर ध्यान मग्न रहता है। मछली आने पर तुरंत उन्हें अपना ग्रास बनाकर पुनः ध्यानस्थ हो जाता है।
विद्यार्थी भी विद्या अध्ययन में लगा रहे तथा ज्ञान-विज्ञान की बातों को ग्रहण करते हुए निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ता रहे।

आत्मग्यान

आदर्श विद्यार्थी के लक्षण

किसी भी व्यक्ति में यदि त्याग की भावना है तो उसे समाज में श्रेष्ठ लोगों में रखा जाता है। इसीलिए विद्यार्थी में अब रात में त्याग की भावना है तो उसे आदर्श विद्यार्थी के रूप में देखा जाएगा।

त्याग की भावना का अर्थ यही है कि व्यक्ति ने ईष्र्या स्वार्थ और लोग जैसी भावनाऐ अब नहीं रही । त्याग की भावना लोगों को जोड़ने का कार्य करती है । अगर विद्यार्थी में त्याग की भावना है तो वह आदर्श विद्यार्थी के रूप में जाना जाता है ।

आत्मनिर्भरता

अच्छे विद्यार्थी का महत्वपूर्ण गुण आत्मनिर्भरता है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है खुद पर भरोसा रखना । ईश्वर भी उसी की सहायता करता है, जो स्वयं अपनी सहायता अर्थात् अपना कार्य करते हैं। अच्छे विद्यार्थी विश्वासपूर्वक अपना तथा दूसरों का भला कर सकते है।

एक विद्यार्थी अपने माता-पिता एवं गुरुजनों पर निर्भर रहता है परंतु उसे अपने कार्य स्वयं करने चाहिए जिससे वह आत्मनिर्भर होना सीखें, यह उसे भविष्य में बहुत काम आएगा ।

समय की कद्र

विद्यार्थी जीवन पर निबंध

एक अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है जो विद्यार्थी समय की कद्र नहीं करता उसे विद्या की प्राप्ति कभी नहीं होती। अच्छे विद्यार्थी की बात करें तो उसके अंदर एक सबसे बड़ा गुण जो होता है, वों समय प्रबंधन का होंता है।

मतलब वह अपना हर कार्य समय पर करता हैं। जैसे कि उसको कब पढ़ना है, कब खेलने जाना है और कब अन्य कार्य करने जाना है मतलब वह अपने समय के हर हिस्से को अलग अलग काम के हिसाब से बाट कर रखा होता है।

देशभक्ति

देश भक्ति का अर्थ है आप जिस देश और समाज में रहते हैं उसके प्रति आपके मन में श्रद्धा होनी चाहिए साथ ही साथ उसके हितों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझना चाहिए हर मनुष्य किसी न किसी समाज से जुड़ा होता हैं और समाज के बिना उसका कोई भी अस्तित्व नहीं है।

यदि किसी विद्यार्थी मे देश के प्रति प्रेम और देशभक्ति की भावना का अभाव है तो वो अपने देश के हितों की चिंता नहीं करेगा।

बगैर समाज के विद्यार्थी का कोई मूल्य या अस्तित्व नहीं है  जब हम अपने राज्य और देश के बारे मे सोचेंगे तभी अपना भी विकास कर सकते है।

सीखने की चेष्टा

एक विद्यार्थी में हमेशा सीखने की चेष्टा होनी चाहिए । सीखने की चेष्टा रखने वाला विद्यार्थी हर कार्य अच्छे से कर सकता है, ऐसे विद्यार्थीयों को हमेशा ज्यादा सीखने की लालसा रहती है ये पढ़ाई के साथ साथ अन्य कार्यों में भी आगे रहते हैं।

ऐसे विद्यार्थियों की गिनती हमेशा सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों में की जाती है। इसीलिए चाणक्य ने कहा था कि विद्यार्थी को सदैव कव्वे की तरह जानने में सीखने की चेष्टा रखनी चाहिए।

ध्यान करना

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यहां ध्यान करने का अर्थ ध्यान लगाने से अथार्थ meditation से नहीं है, ध्यान करना अथार्थ सब की बातों पर गौर करना अपने से बड़ों की बात ध्यान से सुनना और उन्हें पूरा करना है।

जब विद्यार्थी किसी भी बात को ध्यान से सुनता है तो ही वह उन बातों को अपने जीवन में उतार सकता है उसका पालन कर सकता है उससे कुछ सीख सकता है इसलिए विद्यार्थी को सदैव बगुले की तरह ध्यान लगाना चाहिए।

संयम

विद्यार्थी के जीवन में संयम का अर्थ है नियंत्रण। संयम शब्द सम् और यम शब्दों के योग से बना है ।‘सम्’ का अर्थ है-उचित और ‘यम’ का अर्थ है-नियंत्रण। विद्यार्थी तब सदाचारी कहलाता है जब अच्छा आचरण रखता है।

एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा उचित इच्छा को आदर देता और अनुचित इच्छा को इनकार करता है। अच्छा विद्यार्थी सदैव अपनी अनुचित इच्छाओं को पीछे रखता है और अच्छी बुरी परिस्थिति में संयम रखता है।

निष्कर्ष:

हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके. हर एक व्यक्ति आदर्श छात्र बनना चाहता है लेकिन कुछ ही ऐसा बनने में सक्षम हैं.

एक आदर्श छात्र बनने के लिए दृढ संकल्प करना बहुत जरूरी है. केवल कक्षा में अच्छे नंबर लेने से कोई आदर्श विद्यार्थी नहीं बन जाता बल्कि आदर्श बनने के लिए हमें निस्वार्थ बनना पड़ता है.

आदर्श छात्र वह नहीं है जो कभी भी विफल नहीं होता लेकिन विफलता से कभी हार नहीं मानता. वह हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है.

हमें उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “विद्यार्थी जीवन पर निबंध” जरुर अच्छा लगा होगा, कमेंट करके जरुर बताएं, धन्यवाद!!

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