प्यार और आकर्षण का अंतर | Difference Between Love and Attraction (Hindi)

प्यार और आकर्षण का अंतर | Difference Between Love and Attraction (Hindi)

दोस्तो, आज हम आपको love and attraction यानि प्यार और आकर्षण के बारे में बताएंगे। हर किसी की जिंदगी में प्यार तो होता ही है, लेकिन कही लोग attraction को love समझ लेते है। अधिकतर लोगो के मन में प्यार को लेकर सवाल अवश्य रहते है परंतु वह सोच में रह जाते है कि वह प्यार है या आकर्षण।

यदि आप रिलेशनशिप में है तो प्रेम और आकर्षण के बीच का अंतर क्या है, ये जानना बहुत जरूरी है। कहते है कि पहले के ज़माने का प्यार, आज के ज़माने के प्यार का आधा हिस्सा भी नही है। आज के ज़माने में प्यार करने से पहले ही पता चल जाता है कि यह कितने दिन चलने वाला है।

तो आज हम आपको love and attraction के बीच का अंतर बताएंगे ताकि आपको समझ आ जाए कि आपको किसी व्यक्ति से प्यार है या आकर्षण। इन्ही सब को कैसे जाना जा सकता है आज हम आपको बताने की कोशिश करेंगे,

तो चलिए शुरू करते है आज का टॉपिक:–

प्यार क्या है – What is love

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प्यार को कोई भी शब्दो में नही बता सकता है। प्यार को केवल महसूस किया जा सकता है। प्यार क्या होता है, और सच्चा प्यार क्या होता है। आइए जानते है:–

जब हम अपनी खुशी से ज्यादा दूसरो की खुशी में खुश होते है, और दूसरो के गम में शामिल होते है, तो वो उसके लिए हमारा प्यार दर्शाता है। यदि हम उसे कभी दुख या तकलीफ में नही देख पाते, तो वो भी उसके लिए हमारा प्रेम दर्शाता है। प्यार को बस इंसान नही जानवर भी महसूस कर सकते है। हर किसी व्यक्ति का प्यार दर्शाने का तरीका भी अलग ही होता है। कोई बोलकर जताता है, तो कोई मन में ही दबा कर रख जाता है।

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यह प्यार किसी को पागल बना जाता है तो किसी को कामयाब बना देता है। True love वो नहीं होता जो कभी भी किसी को भी देख कर हो जाता है। सच्चा प्यार तो एक दूसरे को जानने और समझने के बाद होता है। एक दूसरे के साथ रहते-रहते पता ही नही चलता की दोनो को कब प्यार हो जाता है।

सच्चा प्यार हमेशा के लिए होता है। कुछ तो लोग प्यार में इतने पागल हो जाते है कि यदि उनके मां बाप न माने रिश्ते के लिए तो वह अपने मां बाप को ही छोड़ देते है और उनकी इज्ज़त पानी में डूबो देते है। सच्चा प्यार कभी नही हारता है, बेशक उसे अपनी मंजिल न मिले लेकिन वो कभी खत्म नहीं होता है।

देखो, प्यार में सिर्फ देना होता है, लेना नहीं. प्यार कभी स्वार्थी नहीं होता और जिसमें स्वार्थ हो, वो प्यार नहीं होता.

आकर्षण क्या है – What is attraction

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जिस तरह लोग किसी सुंदर सी वस्तु को देख कर बहुत जल्दी आकर्षित हो जाते है। उसी तरह एक व्यक्ति किसी की सूरत देख कर आकर्षित हो जाते है। आकर्षण केवल मजा होता है जो बहुत जल्दी खत्म हो जाता है. आकर्षित तो आप किसी भी व्यक्ति के ऊपर हो सकते है, हर रोज़ आप किसी का किसी पर आकर्षित हो सकते है।

Attraction में अगर हमे किसी व्यक्ति पर किसी चीज़ के लिए आकर्षित है तो उसकी जगह कोई भी ले सकता है अगर किसी और के पास वैसा ही आकर्षण है, तो हम उसके ऊपर आकर्षित हो जाते है। आकर्षण तो हमारे दिमाग की एक उपज होती है।

आकर्षण में हम केवल वर्तमान में जीते है और अपने प्रेमी या प्रेमिका के शरीर की ही कल्पना कर सकते है और उसी के बारे में विचार कर सकते है। व्यक्ति सिर्फ दूसरे की सुंदरता एवम शरीर देख कर ही आकर्षित होते है। आम तौर पर पहली नजर में हमे किसी का चेहरा पसंद आ जाता है, किसी की आंखे पसंद आ जाती है, किसी की मुस्कान पसंद आ जाती है, किसी का व्यवहार पंसद सकता है या किसी का बात करने का तरीका पसंद आ जाता है।

ज्यादा तौर पर आकर्षण होना teenager में शुरू हो जाता है। आकर्षण को हम प्यार तो नही कह सकते, यह temporary love होता है, वो जो एक साथ कही लोगो को हो सकता है।

प्यार और आकर्षण में क्या अंतर है – difference between love and attraction

दोस्तो, प्यार और आकर्षण में बहुत अंतर है। अब हम आपको इनके बीच के कुछ अंतर बताएंगे।

    • जैसा कि हम सभी जानते है कि प्यार एक एहसास होता है जो कि लंबे समय के लिए एक व्यक्ति से होता है। परंतु आकर्षण इसके बिल्कुल ही विपरीत है क्योंकि आकर्षण हमे कुछ समय के लिए ही होता है जो की व्यक्ति की केवल सुंदरता से होता है.
    • प्यार तो दिल से किया जाता है जब की आकर्षण हमारे दिमाग की एक उपज होती है। प्यार में हम अपने चाहने वाले के लिए कुछ भी कर जाते है परंतु attraction में यह मुश्किल सा लगता है, इंसान सोच में पड़ जाता है कि मै अपने चाहने वाले की मदद करू या नहीं.
    • आकर्षण वो है कि किसी इंसान को पसंद करना या पाने की इच्छा होना। इसका अर्थ है खुद को खुश रखना जबकि प्यार में प्रेमी चाहता है कि उसका पार्टनर खुश रहे।

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    • प्यार में लोग अपने आगे future की सोचते है लेकिन आकर्षण में ऐसा बिलकुल नहीं होता। आकर्षण में हमे वह चीज़ उसी वक्त चाहिए होती है।
    • जब हम किसी चीज़ के लिए ख़ुशी-ख़ुशी मेहनत करते हैं और जितना हो सके उस चीज़ की केयर करने की  कोशिश करते हैं, तो उसे प्यार कहते हैं. लेकिन अगर आप किसी भी तरह की मेहनत किए बिना ही किसी चीज़ को चाहने लग जाते हो तो वो होता है अट्रैक्शन जो कि कभी भी फीका पड सकता है.
    • अट्रैक्शन में आपके लिए उनकी लुक्स, status और पॉवर सबसे ज़्यादा मायने रखती है, लेकिन प्यार में आपके लिए उनके emotion, feeling और केयर सबसे ज़्यादा मायने रखती है.
    • अट्रैक्शन वो है जिसमें मुश्किल समय में दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं, लेकिन प्यार में मुश्किल समय में दोनों एक दूसरे के और भी करीब आ जाते हैं.
    • प्यार में आप उनकी सभी खामियों को भी हसते हुए ,मान लेते हो, परन्तु अट्रैक्शन में आपको हर तरफ से perfect चाहते हो.
    • अट्रैक्शन में आपके दिमाग में सबसे पहले ये आता है कि आपको उनसे क्या फ़ायदा मिल सकता है, लेकिन प्यार में आप सबसे पहले ये सोचते हो कि आप उन्हें किस तरह से मदद कर सकते हो.

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  • अट्रैक्शन मतलब जब उनकी जगह पे आप उनसे बेटर किसी को सोच पाते हो, लेकिन प्यार में वो आपके लिए सबसे कीमती और खास होता है.
  • अट्रैक्शन में आप वो चीज़ अच्छे से जानते हो कि क्यों वो आपको इतना ज़्यादा पसंद है, लेकिन वहीं प्यार में आपको बिल्कुल सही से पता ही नहीं होता कि क्यों वो आपको इतना ज़्यादा पसंद है.

यह बात भी सही है कि अट्रैक्शन से ही प्यार की शुरुआत होती है, फर्क सिर्फ इतना है वक़्त के साथ साथ प्यार की जड़ें मन की बहुत गहराई तक जा कर जिंदगी भर के लिए स्थित हो जाता है, जिसे फिर चाहे कोई कितना भी कोशिश करले उसे जड़ से कभी उखाड़ नहीं पाता.

जहाँ अट्रैक्शन पेड़ के पत्त्तों के जैसा होता है, हर साल गिर जाते हैं और फिरसे वापिस आ जाते हैं.

प्यार हमेशा उस चीज से होता है जो हमारी होती है, जबकि आकर्षण सिर्फ उस चीज से होता है जो हमारी नहीं होती है और उसे पाना चाहते है।

प्रेम और मोह में क्या अंतर है?

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हम सभी यह मानते हैं कि जीवन में कभी न कभी किसी न किसी स्थान पर प्रेम होता ही है, फिर चाहे वो माता-पिता को अपनी संतान से हो, ज्ञानी को ज्ञान से हो, किसी कलाकार को कला से हो. किन्तु क्या वास्तव में ये प्रेम ही है? मोह भी तो हो सकता है !!

तो आप सोचेंगे कि प्रेम और मोह में क्या अंतर है, तो अंतर है बंधन का. जो आपको बंधे वो मोह है, प्रेम नहीं !!

प्रेम वो जो आपको मुक्त कर विकास कीओर भेजे. एक उदाहरण से समझते हैं:
कुछ माता-पिता अपनी संतान को किसी अन्य नगर में पढ़ने के लिए भेज नहीं पाते, अपनी संतान को उसके मित्रों के साथ खेलने के लिए भेज नहीं पाते, वे चिंतित रहते हैं कि कहीं उनकी संतान को पीढ़ा न पहुंचे और इसीलिए उसे बांध कर रखते हैं, ये प्रेम नहीं है, ये मोह है.

क्योंकि यदि ये प्रेम होता तो वो चाहते कि संतान माता-पिता की छाव से बाहर निकल कर इस संसार को देखे, उसे समझे, उसे ज्ञान ले. अपने अनुभवों से सीख कर अपने स्वंय का एक व्यक्तित्व बनाएं.

स्मरण रखियेगा मोह से केवल भय पैदा होता है और प्रेम से केवल आनंद. इसलिए बांधिए मत, मुक्त कीजिये.

 

निष्कर्ष:

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको हमारी ये दी हुई जानकारी पसंद आई होगी और आपको love and attraction के बीच का अंतर समझ आ गया होगा. प्यार और आकर्षण, उलझे भरे शब्दों के गहन अध्ययन से इतना तो समझ में आने लगा कि इंसान अपनी ही मृगतृष्णा में उलझा चला जाता है।

प्यार क्या है? आकर्षण क्या है? प्यार और आकर्षण में अंतर क्या है? (Difference between love and attraction) ना जाने कितने सवालों से जूझता है और रिश्तों को भी दाव पर लगा देता है। ऊपर दी गई जानकारी से यह तो स्पष्ट हो गया की सच्चा प्यार क्या होता है लेकिन फिर भी प्यार कोई वस्तु नहीं, एक ऐसा एहसास है जिसे महसूस करके जिंदगी खूबसूरत लगने लगती है.

भगवान से यही दुआ है मेरी, आप सभी की जिंदगी में भी सुकून भरा प्यार आए और आप हमेशा खिलते मुस्कुराते रहें।

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