प्यार तो हम सभी को कभी न कभी किसी न किसी से जरुर होता है, लेकिन कई बार हम यह समझ नहीं पाते कि यह प्यार सच्चा है या बस आकर्षण. हम इसी उलझन में रहते हैं, इसी लिए आज हम बताएंगे कि सच्चा प्यार क्या होता है, कोन कोन सी चीजें सच्चे प्यार में होती हैं.
सच्चे प्यार की पहचान क्या होती है
आज कल हर इन्सान को ये जानने की इच्छा होती है कि जिस इन्सान से हम इतना प्यार करते हैं, इतनी मुहब्बत करते हैं, जिसके लिए मैंने पढाई छोड़ दी, काम छोड़ दिए अपने परिवार को समय देना छोड़ दिया, अपने करियर को दांव पर लगा दिया.
उसके लिए इतना कुछ किया, क्या वो भी मुझसे उतनी ही मुहब्बत उतना ही प्यार करता है या नहीं. कहीं उस ने मुझे धोखे में तो नहीं रखा, कहीं वो सिर्फ दिखावा तो नहीं कर रहा.
तो यह आपकी सारी दुविधा इस आर्टिकल के जरिए दूर हो जाएगी.
सच्चे प्यार के लक्षण
आज हम कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि आपका पार्टनर आपसे सच्चा प्यार करता है या नहीं.
कण्ट्रोल करना
जहाँ पर सच्चा प्यार होता है वहां पर कण्ट्रोल और दूसरे को चेंज करने की कोशिशे और इरादे नहीं होते. लेकिन जहाँ झूठा प्यार होता है वहां आपका पार्टनर आपको फ़ोर्स करेगा, वह आपके उपर किसी भी तरह का दबाव बनाने के कोशिश करेगा.
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वह आप को बदलने की कोशिश करेगा, आप पर काबू रखने की कोशिश करेगा.
जहाँ प्यार होता है वहां कोई भी चीज़ किसी पर थोपी नहीं जाती कि जैसे मैं कह रहा हूँ तुम वैसा ही करो, सच्चे प्यार में कोई शर्त नहीं रखी जाती.
तो अगर आप दोनो की चीजें अलग अलग हैं, आप वो चीजें करना चाहते हो जो कि उसे पसंद नहीं है, लेकिन सामने वाला ज़बरदस्ती आप से वो चीजें करवा रहा है जो कि उसको पसंद है, तो ये सच्चा प्यार बिलकुल भी नहीं है.
देखो, रिलेशनशिप का मतलब है constructive, आप दोनों मिल कर जिंदगी में आगे बढ़ रहे हो, दोनों साथ मिलकर चलते हो, खुशियाँ बांटते हो.
जहाँ उसको कोई प्रॉब्लम होती है वहां आप उसकी हेल्प और सपोर्ट करते हो और जहाँ आप को कोई प्रॉब्लम होती है वहां वो सपोर्ट करता है.
लेकिन दिखावे वाले प्यार में हमेशा वह आप को कण्ट्रोल करने की कोशिश करेगा.
इसलिए आप को अगर ये थोडा सा भी महसूस हो कि इस रिलेशनशिप के पहले आप थोडा फ्री माइंड रहते थे और जब से इस रिश्ते में आए हो तब से उस इन्सान ने आपकी जिंदगी बदल दी और उस चीज़ से आप खुश नहीं हो.
आप कोई भी चीज़ या कोई भी काम अपनी मर्जी से नहीं कर पा रहे, सब कुछ उसके मुताबिक करना पड रहा है तो आपको यह चीज़ अंदर अंदर ही खत्म कर देगी और आप डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं.
तो आप को यह बात समझनी पड़ेगी.
रिश्ते में समझौता
दोस्तो, जहाँ सच्चा प्यार होता है वहां compromise होता है, sacrifice होता है. लेकिन जहाँ झूठी मुहब्बत होती है वहां सिर्फ एक ही चीज़ होती है अपना फायदा देखना.
अगर सामने वाला इन्सान सिर्फ और सिर्फ अपना फायदा देखता है, सिर्फ अपने फायदे के लिए ही आप से कोई चीज़ करवाता है, सिर्फ अपने फायदे के लिए तुम से बात करता है.
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या सिर्फ अपने फायदे के लिए ही आप को बुलाता है तो ये सब चीज़े फेक लव में ही आती हैं.
फायदा कुछ भी हो सकता है, भावनात्मक रूप से भी, शारीरिक रूप से भी, मानसिक रूप से भी. कैसा भी फायदा जो वो सिर्फ खुद के लिए करवाता है क्योंकि उससे उसको ख़ुशी मिलती है, तो ये बात गलत है.
उदहारण के तौर पे वो इन्सान आप से तभी बात करता है जब वो बोर होता है, जब वो फ्री होता है. लेकिन जब वो फ्री नहीं होता तब वो बात नहीं करता आपसे आयर तभी बात करता है जब उसका मन होता है.
लेकिन आप तो इस बात से बहुत खुश हो जाते हो कि उसने खुद मुझे कॉल किया, लेकिन जब आप उससे मेसेज करते हो तब तो वो रिप्लाई नहीं करता, तब तो वो बिजी हो जाता है.
Compromise ये होता है कि दो लोग अपनी अपनी कुछ चीजें छोड़ते हैं, कुछ वो चीजें करते हैं ताकि सामने वाले को ख़ुशी मिले.
तो अगर सामने वाला इन्सान अपने दोस्तों से बात करना छोड़ देता है क्योंकि उसको आपसे बात करनी है या आप के लिए कुछ और चीज़ छोड़ देता है, तो समझ जाना कि वो इन्सान आपसे सच्चा प्यार करता है.
सम्मान करना
जहाँ सच्चा प्यार होता है वहां हम सामने वाले की इज्ज़त करते है उसका सम्मान करते हैं. मैं तो बोलूँगा कि रिश्ते में प्यार के बाद जो दूसरा नंबर आता है वो है सम्मान.
जहाँ प्यार है वहां इज्ज़त होनी ही होनी चाहिए और दूसरे शब्दों में बोलूँ तो जहाँ सम्मान होता है वहीँ प्यार होता है.
अगर दो लोग एक दूसरे से बहुत मुहब्बत करते हैं लेकिन एक दूसरे की इज्ज़त नहीं करते तो वो प्यार नहीं है. तो चाहे आप उसके लिए कुछ भी कर दो लेकिन अगर उसकी इज्ज़त नहीं करते तो उसका कोई मतलब नहीं है.
रिलेशनशिप वही अच्छा होता है जहाँ दो लोग खुश रहने की कोशिश करते हैं. लेकिन आप दूसरे को दुख दे रहे हो उसे हर्ट कर रहे हो और उम्मीद कर रहे हो कि सामने वाला आपको खुश रखे, तो मेरे भाई यह प्यार नहीं है.
सच्चाई
सच्चे प्यार की बात कर रहे हैं तो सीधी सी बात है जहाँ सच्चाई होगी वहीँ सच्चा प्यार होगा और जहाँ झूठ होगा वहां झूठा प्यार ही होगा.
तो जहाँ सच्चा प्यार होता है वहां दोनों एक दूसरे से कुछ भी छुपाते नहीं है और ज्यादातर चीजें सच बोलते हैं.
मैंने बोला “ज्यादातर” चीजें सच बोलते हैं. आप आज कल के समय में किसी से ये उम्मीद बिलकुल मत करना कि वो इन्सान पूरे तरीके से आप से सच रहेगा.
क्योंकि कोई इन्सान सच्चा नहीं है, झूठ हर एक इन्सान बोलता है लेकिन ये डिपेंड करता है वो कितना बड़ा या कितना छोटा झूठ बोलता है.
उस इन्सान से बिलकुल दूर रहना जो छोटी छोटी बात पर झूठ बोल देता है.
जैसे मान लो उसने कोई गलती कर दी और उस गलती को छुपाने के लिए आप से कोई भी झूठ बोलता है और छोटी-छोटी गलतियों पे छोटा छोटा झूठ बोलता रहता है.
यहाँ आपको समझ आ रहा होता है कि ये इन्सान इतना झूठ बोलता है, तो ऐसे इंसानों से दूर रहना ही सही है.
झूठा प्यार क्या है – झूठे प्यार की निशानियाँ
आपके पार्टनर की कुछ ऐसी निशानियाँ जिन से आप पता लगा सकते हैं कि उसका प्यार सच्चा है या बस दिखावे का.
वो आपको जानना नहीं चाहेगा
झूठे प्यार में आपका पार्टनर आप के बारे में जानने में बिलकुल भी इच्छुक नहीं होगा, आपके बारें में जानना ही नहीं चाहेगा.
वो इन्सान आपसे कोई भी सवाल नहीं करेगा की आप कैसे हो, आप के सपने क्या हैं, आप को क्या पसंद है और क्या नहीं पसंद.
वो ये कभी नहीं पूछेगा कि आपको क्या करना अच्छा लगता है. वो आपके परिवार के बारे में कुछ नहीं पूछेगा, उस को कोई भी दिलचस्पी नहीं है.
वो आपके भविष्य के बारे में भी नहीं पूछेगा कि हम शादी के बाद ये करेंगे, यहाँ जाएंगे वहां जाएंगे.
ना ही वो आपकी रोजाना दिनचर्या के बारे में पूछेगा कि आपका आज का दिन कैसा रहा, आप इतने व्यस्त क्यों थे, अपने फोन कॉल क्यों नहीं उठाया, मेसेज क्यों नहीं किया.
वो आप का ख्याल भी नहीं रखेगा, आपका मूड कैसा है, अच्छा है बुरा है, वो पूछेगा ही नहीं.
आपके दिन का अंत कैसे होता है
दिन का अंत से मेरा मतलब है कि जब आप सो रहे हों तो सोने से पहले आप के दिमाग में क्या क्या विचार चलते हैं.
क्या आप के मन में ये आता है कि आज मैंने अपने पार्टनर से ये ये बाते की, आज तो उसने मेरे साथ ये ये discuss किया, कितना मजा आया आज.
आज हम यहाँ घूमने गये, आज उसने मुझसे ये कहा. आज उसने मेरे लिए ये करा, मुझे बहुत अच्छा लगा.
या ये ख्याल आता है कि..यार, लो! आज तो हमारी फिर से लड़ाई हो गयी, आज फिर ये गलतफ़हमी पैदा हो गई.
उसको ऐसा कहना ही नहीं चाहिए था, उस ने ऐसा क्यों कहा. मैंने भी उल्टा क्यों बोल दिया.
तो यहाँ आप भी उदास हो और वहां वो भी उदास है और एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे. देखो लड़ाई झगड़ा होना कोई बड़ी बात नहीं है.
लड़ाई झगड़ा होना चाहिए, क्योंकि इससे पता चलता है कि आप के रिलेशनशिप में कितनी जान है लेकिन रोज़-रोज़ ही लड़ाईयां होना भी ठीक बात बिलकुल नहीं है.
ऑन और ऑफ प्यार
ऑन और ऑफ मतलब एक स्विच की तरह प्यार, कभी ऑन तो कभी ऑफ, कभी अच्छा कभी खराब. कभी तो आपका पार्टनर बहुत मुहब्बत दिखाएगा कि तुम तो मेरी जिदंगी हो, तुम तो मेरे लिए सब कुछ हो.
हम शादी के बाद ये करेंगे वो करेंगे. कभी तो बहुत ज्यादा खुश होता है लेकिन कभी बहुत ज्यादा गुस्सा. वो आप को अचानक से इगनोर करने लगेगा और आप से बात नहीं करेगा.
ना आप का फोन उठाएगा, मेसेज का लेट रिप्लाई करेगा या इगनोर कर देगा. वो आप से अचानक से झूठ पे झूठ बोलने लगेगा, बहाने बनाने लगेगा.
अगर आप से थोडा सा भी कुछ बोला तो वो गुस्सा हो जायेगा.
लेकिन जब उस को जरूरत होती है तो अचानक से उसका प्यार बहुत बढ़ जाता है. जब उसको आप से कुछ चाहिए होता है तो वो आपसे बहुत मीठी मीठी बातें करता है.
जरूरत पूरी होने पर वो आप को फिर से छोड़ देगा और बस यही चलता रहता है.
प्यार का सही अर्थ क्या होता है
साधारण रूप से प्रेम की शुरुआत आकर्षण से ही होती है और इसमें कुछ भी बुराई नहीं है. परन्तु आवश्यक बात यह है प्रेम का उद्देश्य क्या है?
जिनसे आपको प्रेम हुआ है उन्हें पा लेना? या ना पाने के कारण खुद को विचलित करके इस संसार से अलग हो जाना? यह दोनों विकल्प प्रेम का अंत है.
प्रेम का असली अर्थ स्मरण, सम्पूरण, निस्वार्थ. एक ऐसा प्रेम जिस में जिन से भी आप प्रेम करते हैं उनको पा लेने की ख़ुशी आपका लक्ष्य नहीं है बल्कि उन्हें प्रसन्न करना ही आपका लक्ष्य है.
उन्हें ढेर सारी खुशियाँ देना ही आपका लक्ष्य है. क्योंकि ये प्रेम परमेश्वर है और यदि इस प्रेम में पूर्ण रूप में समर्पित नहीं होंगे तो प्रेम का कोई मार्ग नहीं मिल पाएगा.
किन्तु यदि इस प्रेम में खुद को पूर्ण रूप से समर्पित कर लिया जाए तो समझो इस प्रेम से आप इश्वर को पा लोगे.
सच्चा प्यार शायरी
उदास मत होना क्योंकि मैं साथ हूँ,
सामने ना सही आस पास हूँ.
आँखों को बंद करो दिल से याद करो,
मई हमेशा तुम्हारे लिए एक एहसास हूँ.
जिंदगी के लिए जन जरूरी है,
जीने के लिए अरमान जरूरी है.
हमारे पास चाहे हो कितना भी गम,
तेरे चेहरे पर मुस्कान जरूरी है.
अपनी आँखों से समंदर में उतर जाने दे,
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब कर मर जाने दे.
ज़ख्म कितना दिया है तेरी चाहत ने मुझे,
सोचता हूँ तुमसे कहूं…मगर जाने दे !!
निष्कर्ष:
दोस्तो, सच्चा प्यार निस्वार्थ होता है. जहाँ स्वार्थ है वहां प्यार नहीं हो सकता और जहाँ प्यार है वहां स्वार्थ नहीं होता.
उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “सच्चा प्यार क्या होता है” पसंद आया होगा, कमेंट करके जरुर बताएं, धन्यवाद !!
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very good article
Thank you
सच्चे प्यार के बारे में आप ने बहुत ही प्रशंसनीय जानकारी लिखी है। धन्यवाद !
सच्चे प्यार की 12 निशानियां इस पर भी आर्टिकल पढ़े
Shukriya
Main ek ladki se bht zyadaa pyar krta hu …bt main chahta hu ki woh ghumna chod de usko akele akele ghum na psnd h bt mere ko psnd nhi …ye chiz mna krta hu to ladai hota h …main usko force v krta hu ki yeh kmm mt karo voh mt karo ..lekin sir jab woh akele akele ghum ne Jati h tb jealous feel hota h isliye mna krta hu ..ishi bje se humara break-up ho gya …bt main ushe sacha pyar krta tha …
Thanks Bhai mai Google par sirf apka blog dekhata hun.